IT Act 2000 धारा १ : संक्षिप्त नाम, विस्तार और लागू होना :

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम २०००
अध्याय १ :
प्रारंभिक :
धारा १ :
संक्षिप्त नाम, विस्तार और लागू होना :
(२००० का अधिनियम संख्यांक २१)
(९ जून, २०००)
इलैक्ट्रानिक डाटा के आदान-प्रदान द्वारा और इलैक्ट्रानिक संसूचना के अन्य साधनों द्वारा, जिन्हें सामान्यतया इलैक्ट्रानिक वाणिज्य कहा जाता है और जिनमें संसूचना और सूचना के भंडारण के कागज- आधारित तरीकों के अनुकल्पों का उपयोग अंतर्वलित है, किए गए संव्यवहारों को विधिक मान्यता देने, सरकारी अभिकरणों में दस्तावेजों को इलैक्ट्रानिक रूप से फाइन करना सुकर बनाने और भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, १८७२, बैंककार बही साक्ष्य अधिनियम, १८९१ और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, १९३४ का और संशोधन करने तथा उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिए अधिनियम
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने तारीख ३० जनवरी १९९७ के संकल्प ए/आर ई एस/ ५१/१६२ द्वारा अंतरराष्ट्रीय व्यापार विधि से संबंधित संयुक्त राष्ट्र आयोग द्वारा अंगीकार की गई इलैक्ट्रानिक वाणिज्य संबंधी आदर्श विधि को अंगीकार कर लिया है;
उक्त संकल्प में, अन्य बातों के साथ, यह सिफारिश की गई है कि सभी राज्य, जब वे अपनी विधियों का अधिनियमन या पुनरीक्षण करें, संसूचना और सूचना के भंडारण के कागद-आधारित तरीकों के अनुकल्पों को लागू होने वाली विधि की एकरूपता की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए,उक्त आदर्श विधि पर अनुकूल ध्यान दें ;
उक्त संकल्प को प्रभावी करना और विश्वसनीय इलैक्ट्रनिक अभिलेखों द्वारा सरकारी सेवाएं दक्षतापूर्वक देने का संवर्धन करना आवश्यक समझा गया है;
भारत गणराज्य के इक्यावनवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :-
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१) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, २००० है ।
२) इसका विस्तार संपूर्ण भारत पर होगा और , इस अधिनियम में जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, यह किसी व्यक्ति द्वारा भारत के बाहर किए गए किसी अपराध या इसके अधीन उल्लंघन को भी लागू होता है ।
३) यह उस १. (तारीख) को प्रवृत्त होगा, जो केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, नियत करे और इस अधिनियम के भिन्न-भिन्न उपबंधों के लिए भिन्न-भिन्न तारीखें नियम की जा सकेंगी और किसी ऐसे उपबंध में इस अधिनियम के प्रारंभ के प्रति किसी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह उस उपबंध के प्रारंभ के प्रति निर्देश है ।
२.(४) इस अधिनियम की कोई बात, पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट दस्तावेजों या संव्यवहारों को लागू नही होगी :
परंतु केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा पहली अनुसूची का, उसमें प्रविष्टियों को जोडकर या हटाकर संशोधन कर सकेगी ।
५) उपधारा ४) के अधिन जारी की गई प्रत्येक अधिसूचना संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखक्ष जाएगी। )
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१. १७ अक्टूबर २०००, अधिसूचना सं० जी एस आर ७८८ (ई) दिनांक १७ अक्टूबर २०००, भारत का राजपत्र, असाधारण, भाग २, धारा ३ (दो) देखे ।
२. २००९ के अधिनियम सं. १० की धारा ३ द्वारा प्रतिस्थापित ।

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