भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४३२ :
लोक जल निकस में नुकसानप्रद जलप्लावन या बाधा कारित करने द्वारा रिष्टि :
(See section 326(c) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लोक जननिकास में नुकसानप्रद जलप्लावन या बाधा कारित करने द्वारा रिष्टि ।
दण्ड :पाँच वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनो ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी ऐसे कार्य करने द्वारा रिष्टि करेगा, जिससे किसी लोक जलनिकास में क्षतिप्रद या नुकसानप्रद जलप्लावन या बाधा कारित हो जाए, या होना वह संभाव्य जानता हो, वह दोनो में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
