Ipc धारा ३८९ : उद्यापन (बलातग्रहन) करने के लिए किसी व्यक्ती को अपराध का अभियोग लगाने के भय में डालना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३८९ :
उद्यापन (बलातग्रहन) करने के लिए किसी व्यक्ती को अपराध का अभियोग लगाने के भय में डालना :
(See section 308(7) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : उद्यापन करने के लिए किसी व्यक्ति को मृत्यु, आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कारावास से दंडनीय अपराध का अभियोग लगाने के भय में डालना ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : यदि अपराध प्रकृति विरुद्ध अपराध है ।
दण्ड :आजीवन कारावास ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई उद्यापन (बलातग्रहन) करने के लिए किसी व्यक्ती को, स्वयं उसके विरुद्ध या अन्य किसी व्यक्ती के विरुद्ध यह अभियोग लगाने का भय दिखलाएगा या भय दिखलाने का प्रयत्न करेगा कि उसने ऐसा अपराध किया है या करने का प्रयत्न किया है, जो मृत्यु से या १.(आजीवन कारावास) से या दस वर्ष तक के कारावास से दण्डनीय है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा, तथा यदि वह अपराध ऐसा हो जो इस संहिता के धारा ३७७ के अधीन दण्डनीय है, तो वह १.(आजीवन कारावास) से दण्डित किया जाएगा ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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