भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३४६ :
गुप्त स्थान में सदोष परिरोध :
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : गुप्त स्थान में सदोष परिरोध ।
दण्ड :किसी अन्य धारा के अधीन कारावास से अतिरिक्त दो वर्ष के लिए कारावास ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : परिरुद्ध व्यक्ति ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी व्यक्ती को सदोष परिरोध इस प्रकार करेगा जिससे यह आशय प्रतीत होता हो कि ऐसे परिरुद्ध व्यक्ती से हितबद्ध किसी व्यक्ती को या किसी लोक सेवक को ऐसे व्यक्ती के परिरोध की जानकारी न होने पाए या एतस्मिन पूर्व (इसमें इसके पूर्व) वर्णित किसी ऐसे व्यक्ती या लोक सेवक को, ऐसे परिरोध के स्थान की जानकारी न होने पाए या उसका पता वह न चला पाए, वह उस दण्ड के अतिरिक्त जिसके लिए वह ऐसे सदोष परिरोध के लिए दण्डनीय हो, दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी ।