भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १६६ :
कोई लोकसेवक, जो किसी व्यक्ति को क्षति कारित करने के आशय से विधि की अवज्ञा करता है :
(See section 198 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लोक सेवक, जो किसी व्यक्ति को क्षति कारित करने के आशय से विधि के निदेश की अवज्ञा करता है ।
दण्ड :एक वर्ष के लिए सादा कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई लोकसेवक होते हुए विधि के किसी ऐसे निदेश की जो उस ढंग के बारे में हो जिस ढंग से लोकसेवक के नाते उसे आचरण करना है जानते हुए, इस आशय से या यह संभाव्य जानते हुए अवज्ञा करेगा कि ऐसी अवज्ञा से वह किसी व्यक्ति को क्षति कारित करेगा, वह सादा कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
दृष्टांत :
(क), जो एक आफिसर है, और न्यायालय द्वारा (य) के पक्ष में दी गई डिक्री की तुष्टि के लिए निष्पादन में सम्पत्ति लेने के लिए विधि द्वारा निदेशित है, यह ज्ञान रखते हुए कि यह सम्भाव्य है कि तद्द्वारा ववह (य) को क्षति कारित करेगा, जानते हुए विधि के उस निदेश की अवज्ञा करता है । (क) ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है ।