भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १५३ क :
१.(धर्म, मूलवंश, जन्मस्थान, निवास स्थान, भाषा इत्यादि के आधारों पर विभिन्न समुहों के बिच शत्रुता का संप्रवर्तन (उन्नत्त करना / अभिवृद्धी) और सौहार्द (मेल) बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना :
(See section 196 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : वर्गों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : पूजा के स्थान आदि में वर्गों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन ।
दण्ड :पाँच के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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१) जो कोई –
क) बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यरुपणों द्वारा या अन्यथा विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय या भाषाई या प्रादेशिक समुहों, जातियों या समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमन्यस्य की भावनांए, धर्म, मूलवंश, जन्मस्थान, निवास स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधारों पर या अन्य किसी भी आधार पर संप्रर्वतित (उन्नत) करेगा या संप्रर्वतित करने का प्रयत्न करेगा; अथवा
ख) कोई ऐसा कार्य करेगा, जो विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समुहों या जातियों या समुदायों के बीच सौहार्द (मेल) बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला है और जो लोक प्रशांति में विघ्न (बाधा) डालता है, या जिससे उसमें विघ्न पडना संभाव्य हो ; २.(अथवा)
२.(ग) कोई ऐसा अभ्यास, आंदोलन, कवायद या अन्य वैसा ही क्रियाकलप(कार्य) इस आशय से संचालित करेगा कि ऐसे क्रियाकलप(कार्य) में भाग लेने वाले व्यक्ती किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषाई, या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करे या आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किए जाएंगे या यह संभाव्य जानते हुए संचालित करेगा कि ऐसे क्रियाकलप (कार्य) में भाग लेने वाले व्यक्ति किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे या आपराथिक बल या हिंसा का प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किए जाएंगे अथवा ऐसे क्रियाकलाप (कार्य) में इस आशय से भाग लेगा कि किसी धार्मिक , मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदार के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे या आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए, यह संभाव्य जानते हुए भाग लेगा कि ऐसे क्रियाकलप (कार्य) में भाग लेने वाले व्यक्ती किसी धार्मिक , मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदार के विरुद्ध आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे या आपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किए जाएंगे और ऐसे क्रियाकलप (कार्य) ऐसे धार्मिक , मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समुह या जाति या समुदाय के सदस्यों के बीच, चाहे किसी भी कारण से भय या संत्रास या असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है या भय या असुरक्षा की भावना उत्पन्न होनी संभाव्य है,)
वह कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
२) पुजा के स्थान आदि में किया गया अपराध : जो कोई उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट (वर्णन) अपराध किसी पुजा के स्थान में या किसी जमाव में, जो धार्मिक पूजा या धार्मिक कर्म करने में लगा हुआ हो, करेगा, वह कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी, दण्डनीय होगा ।)
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१. १९६९ के अधिनियम सं० ३५ की धारा २ द्वारा पूर्ववर्ती धारा के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९७२ के अ्रधिनियम सं० ३१ की धारा २ द्वारा अन्त:स्थापित ।