भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ९७ :
शरीर तथा संपत्ति की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा का अधिकार :
(See section 35 of BNS 2023)
इस अधिनियम कें धारा ९९ में अन्तर्विष्ट निर्बंधनों के अध्ययीन, हर व्यक्ती को अधिकार है कि वह –
पहला – मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले किसी अपराध के विरुद्ध अपने शरीर और किसी अन्य व्यक्ती के शरीर की प्रतिरक्षा करें;
दुसरा – चोरी, लूट, रिष्टी (अनिष्ट,नुकसान) या अपाराधिक अतिचार की परिभाषा में आने वाला अपराध है ऐसे कार्य के विरुद्ध, या जो चोरी, लूट, रिष्टि या आपराधिक अतिचार करने का प्रयत्न है ऐसे में अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की, चाहे जंगम, चाहे स्थावर संपत्ति की प्रतिरक्षा करे ।