भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ९४ :
वह कार्य जिसे करने के लिए कोई व्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है :
(See section 32 of BNS 2023)
हत्या और राज्य के विरुद्ध अपराधों को मृत्यू से दण्डनीय है, उन्हे छोडकर कोई बात या कार्य अपराध नहीं है, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए, जो उसे करने के लिए ऐसी धमकियों से विवश किया गया हौ जिनसे उस बात को करते समय उसको युक्तियुक्त रुप से यह आशंका कारित हो गई हो कि अन्यथा परिणाम यह होगा कि उस व्यक्ति की तत्काल मृत्यू हो जाए, परन्तु यह तब जबकि उस कार्य को करने वाले व्यक्ति ने अपनी ही इच्छा से या तत्काल मृत्यू से कम अपनी अपहानि की आशंका से अपने को उस स्थिति में न डाला हो, जिसमें कि वह ऐसी मजबूरी के अधीन पड गया है ।
स्पष्टीकरण १ :
वह व्यक्ति, जो स्वयं अपनी इच्छा से, या पीटे जाने की धमकी के कारण, डाकुओं की टोली में उनके शील को जानते हुए सम्मिलित हो जाता है, इस आधार पर ही इस अपवाद का फायदा उठाने का हकदार नहीं कि वह अपने साथियों द्वारा ऐसी बात करने के लिए विवश किया गया था जो विधिद्वारा अपराध है ।
स्पष्टीकरण २ :
डाकुओं की एक टोली द्वारा अभिगृहीत और तत्काल मृत्यु की धमकी द्वारा किसी बात या कार्य के करने के लिए जो विधिद्वारा अपराध है, विवश किया गया व्यक्ति, उदाहणार्थ एक लोहार जो अपने औजार लेकर गृह का द्वार तोडने को विवश किया जाता है, जिससे डाकू उसमें प्रवेश कर सके और उसे लूट सके, इस अपवाद का फायदा उठाने का हकदार है ।