भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ८१ :
वह कार्य, जिससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, किन्तु जो आपराधिक आशय (उद्देश) के बिना और अन्य अपहानि न हो या निवारण के लिए किया गया है :
(See section 19 of BNS 2023)
जो कोई बात, केवल इस कारण यह जानते कुए की गई है कि उससे अपहानि कारि होना संभाव्य है, यदि वह अपहानि कारित करने के किसी आपराधिक आशय के बिना और व्यक्ति या संपत्ति को अन्य अपहानि न हो या अपहानि का निवारण करने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक की गई हो , वह अपराध नहीं है ।
स्पष्टीकरण :-
ऐसे मामले में जिस अपहानि का निवारण किया जाना है क्या वह ऐसी प्रकृति की और इतनी आसन्न थी कि वह कार्य, जिससे यह जानते हुए कि उससे अपहानि कारित होना संभाव्य है, करने की जोखिम उठाना न्यायानुमत या माफी योग्य था ; यह तथ्य का प्रश्न है ।
दृष्टांत :
क) (क) जो एक बाष्प जलयान का कप्तान है, अचानक और अपने किसी कसूर या उपेक्षा के बिना अपने आपको ऐसी स्थिति में पाता है कि यदि उसने जलयान का मार्ग नहीं बदला तो इससे पूर्व कि वह अपने जलयान को रोक सके वह बीस या तीस यात्रियों से भरी नाव (ख) को अनिवार्यत: टकराकर डुबो देगा, और कि अपना मार्ग बदलने से उसे केवल दो यात्रियों वाली नाव (ग) को डुबाने की जोखिम उठानी पडती है, जिसको वह संभवत: बचाकर निकल जाए । यहां, यदि (क) नाव (ग) को डुबाने के आशय के बिना और (ख) के यात्रियों के संकट का परिवर्जन करने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक अपना मार्ग बदल देता है तो यद्यपि वह नाव (ग) को ऐसे कार्य द्वारा टकराकर डुबो देता है, जिससे ऐसे परिणाम का उत्पन्न होना वह संभाव्य जानता था, तथापि तथ्यत: यह पाया जाता है कि वह संकट, जिसे परिवर्जित करने का उसका आशय था, ऐसा था जिससे नाव (ग) डुबाने की जोखिम उठाना माफी योग्य है, तो वह किसी अपराध का दोषी नहीं है ।
ख) (क) एक बडे अग्निकांड के समय आग को फैलाने से रोकने के लिए गृहों को गिरा देता है । वह इस कार्य का मानव जीवन या संपत्ति को बचाने के आशय से सद्भावपूर्वक करता है । यहां, यदि यह पाया जाता है कि निवारण की जाने वाली अपहानि इस प्रकृति की ओर इतनी आसन्न थी कि (क) का कार्य माफी योग्य है तो (क) उस अपराध का दोषी नहीं है ।