Ipc धारा ६३ : जुर्माने (द्रव्यदंड) की रकम :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ६३ :
जुर्माने (द्रव्यदंड) की रकम :
(See section 8 of BNS 2023)
जहां जितना जुर्माना हो सकता है, वह राशि अभिव्यक्त(व्यक्त) नहीं की गई हेै वहां अपराधी जिस रकम के जुर्माने का दायी है, वह अमर्यादित है किन्तु अत्यधिक नहीं होगी ।

धारा ६४ :
जुर्माना न देने पर कारावास का दण्डादेश :
(See section 8 of BNS 2023)
१.(कारावास और जुर्माना दोनों से दण्डनीय अपराध के हर मामले में; जिसमें अपराधी कारावास सहित या रहित, जर्माने से दण्डादिष्ट हुआ है,
और २.(कारावास या जुर्माना अथवा) केवल जुर्माने से दण्डनीय अपराध के हर मामले में, जिसमें अपराधी जुर्माने से दण्डादिष्ट हुआ है,)
वह न्यायालय जो ऐसे अपराधी को दण्डादिष्ट करेगा, सक्षम होगा कि दण्डादेश द्वारा निर्दिष्ट करे कि जुर्माना देने में व्यतिक्रम (न देना) होने की दशा में, अपराधी अमुक (कुछ) अवधि के लिए कारावास भोगेगा जो कारावास उस अन्य कारावास के अतिरिक्त होगा, जिसके लिए वह अपराधी दण्डादिष्ट हुआ है या जिसमे वह अपराधी दण्डादेश के लघुकरण पर दण्डनीय है ।
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१. १८८२ के अधिनियम सं० ८ की धारा २ द्वारा प्रत्येक ऐसी दशा में जिसमें अपराधी जुर्माने से दण्डादिष्ट हुआ है के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९८६ के अधिनियम सं० १० की धारा २१(२) द्वारा अन्त:स्थापित ।

धारा ६५ :
जब कारावास और जुर्माना दोनों अधिनिर्णित(आदिष्ट) किए जा सकते है, तब जुर्माना न देने पर कारावास की अवधि :
(See section 8(3) of BNS 2023)
यदि अपराध कारावास और जुर्माना दोनों से दण्डादिष्ट हो, तो वह अवधि जिसके लिए जुर्माना देने में व्यतिक्रम(न देना) की दशा के लिए न्यायालय अपराधी को कारावासित करने का निर्देश दे, कारावास की उस अवधि की एक-चौथाई से अधिक न होगी, जो अपराध के लिए अधिकतम नियत है।

धारा ६६ :
जुर्माना न देने पर किस भांति का कारावास दिया जाए :
(See section 8(4),(5) of BNS 2023)
वही कारावास जो न्यायालय जुर्माना देने में व्यतिक्रम(न देना) होने की दशा के लिए अधिरोपित(थोपना) करे, ऐसा किसी भांति का हो सकेगा, जिससे अपराधी को उस अपराध के लिए दण्डादिष्ट किया जा सकता था ।

धारा ६७ :
जब अपराध केवल जुर्माने से दण्डनीय हो तब जुर्माना न देने पर कारावास :
(See section 8(5) of BNS 2023)
यदि अपराध केवल जुर्माने से दण्डनीय हो तो वह १.(कारावास जिसे न्यायालय जुर्माना देने में व्यतिक्रम (न देना) होने की दशा के लिए अधिरोपित (थोपना) करे, सादा होगा और) वह अवधि, जिसके लिए जुर्माना देने में व्यतिक्रम (न देना) होने की दशा के लिए न्यायालय अपराधी को कारावासित करने का निर्देश दे; निम्न मापमान (आगे उल्लेखित मापमान) से अधिक नहीं होगी, अर्थात:-
जबकि जुर्माने का परिमाण पचास रुपए से अधिक न हो तब कोई अवधि दो मास से अधिक न हो,
तथा जबकि जुर्माने का परिमाण एक सौ रुपए से अधिक न हो तब कोई अवधि चार मास से अधिक न हो,
तथा किसी अन्य दशा में कोई अवधि छह मास से अधिक न हो ।
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१. १९८२ के अधिनियम सं० ८ की धारा ३ द्वारा अन्त:स्थापित ।

धारा ६८ :
जुर्माना देने पर कारावास का पर्ववसान(समापन/खत्म होना) हो जाना :
(See section 8(6) of BNS 2023)
जुर्माना देने में व्यतिक्रम(न देना) होने की दशा के लिए अधिरोपित(थोपना) कारावास तब पर्यवसित(खत्म) हो जाएगा, जब वह जुर्माना या तो चुका दिया जाए या विधि की प्रकिया द्वारा उद्ग्रहीत(वसूल) कर लिया जाए ।

धारा ६९ :
जुर्माने के अनुपातिक (कुछ और) भाग के दे दिए जाने की दशा में कारावास का पर्यवासन (समापन / खत्म / समाप्ती) :
(See section 8(6) of BNS 2023)
यदि जुर्माना देने में व्यतिक्रम (न देना) की दशा के लिए नियत की गई कारावास की अवधि का अवसान ( पुरा) होने से पूर्व जुर्माने का ऐसा अनुपात (कुछ और) चुका दिया या उद्गहीत (वसूल) किया जाए कि जुर्माना देनें में व्यतिक्रम होने पर कारावास की जो अवधि भोगी जा चुकी हो, वह जुर्माने के तब तक न चुकाए गए भाग के अनुपातिक (कुछ और) भाग से कम न हो तो कारावास पर्यवसित (खत्म) हो जाएगा ।
दृष्टांत :
(क) एक सौ रुपए के जुर्माने और उसके देने में व्यतिक्रम होने की दशा के लिए चार मास के कारावास से दण्डादिष्ट किया गया है । यहां यदि कारावास के एक मास के अवसान से पूर्व जुर्माने के पचत्तहर रुपए चुका दिए जाएं या उद्गृहीत कर लिए जाएं तो प्रथम मास का अवसान होते ही उन्मुक्त कर दिया जाएगा । यदि पचत्तहर रुपए प्रथम मास के अवसान पर या किसी भी पश्चात्वर्ती समय पर जब कि (क) कारावास में है, चुका दिए या उद्गृहीत कर लिए जाएं, तो (क) तुरन्त उन्मुक्त कर दिया जाएगा । यदि कारावास के दो मास के अवसान से पूर्व जुर्माने के पचास रुपए चुका दिए जाएं या उद्गृहीत कर लिए जाएं, तो (क) दो मास के पूरे होते ही उन्मुक्त कर दिया जाएगा । यदि पचास रुपए उन दो मास के अवसान पर या किसी भी पश्चात्वर्ती समय पर, जब कि (क) कारावास में है, चुका दिए जाएं या उद्गृहीत कर लिए जाएं, तो (क) तुरन्त उन्मुक्त कर दिया जाएगा ।

धारा ७० :
जुमाने का छह वर्ष के भीतर या कारावास के दौरान में उदग्रहणीय (वसूल) होना । संपत्ति को दायित्व से मृत्यू उन्मुक्त (भारमुक्त करना) नहीं करती :
(See section 8(7) of BNS 2023)
जुर्माना या उसका कोई भाग, जो चुकाया न गया हो, दण्डादेश दिए जाने के पश्चात् छह वर्ष के भीतर किसी भी समय, और यदि अपराधी दण्डादेश के अधीन छह वर्ष से अधिक के कारावास से दण्डनीय हो तो उस कालावधि के अवसान (पुरा) से पूर्व किसी समय, उदग्रृहीत (वसूल) किया जा सकेगा, और अपराधी की मृत्यू किसी भी संपत्ती को, जो उसकी मृत्यु के पश्चात् उसके ऋणों के लिए वैध रुप से दायी हो, इस दायित्व को उन्मुक्त (भारमुक्त करना) नही करता ।

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