भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४६८ :
छल के प्रयोजन से कूटरचना :
(See section 336(3) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : छल के प्रयोजन के लिए कूटरचना ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट (राज्य संशोधन, मध्यप्रदेश : सेशन न्यायालय) ।
——–
जो कोई कूटरचना इस आशा से करेगा कि १.(वह दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख जिसकी कूटरचना की जाती है,) छल के प्रयोजन से उपयोग में लाई जाएगी, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
राज्य संशोधन :
मध्यप्रदेश :
धारा ४६८ के अधीन अपराध सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।
——-
१. २००० के अधिनियम सं० २१ की धारा ९१ और पहली अनुसूची द्वारा दस्तावेज के स्थान पर प्रतिस्थापित ।