भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४१३ :
चुराई हुई संपत्ति का अभ्यासत: व्यापार करना :
(See section 317(4) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : चुराई हुई सम्पत्ति का अभ्यासत: व्यापार कराना ।
दण्ड :आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई ऐसी संपत्ति, जिसके संबंध में, वह यह जानता है, या यह विश्वास करने का कारण रखता है कि वह चुराई हुइ संपत्ति है, अभ्यासत: प्राप्त करेगा, या अभ्यासत: उसमें व्यवहार करेगा, वह १.(आजीवन कारावास) से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।