भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३७० :
१.(व्यक्ती का दुर्व्यापार :
(See section 143 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : व्यक्ति का दुर्व्यापार ।
दण्ड :कम से कम सात वर्ष का कारावास, किन्तु जो दस वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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अपराध :एक से अधिक व्यक्तियों का दुर्व्यापार ।
दण्ड :कम से कम दस वर्ष का कारावास, किन्तु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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अपराध : किसी अवयस्क का दुर्व्यापार ।
दण्ड :कम से कम दस वर्ष का कारावास, किन्तु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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अपराध : एक से अधिक अवयस्कों का दुर्व्यापार ।
दण्ड :कम से कम चौदह वर्ष का कारावास, किन्तु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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अपराध : व्यक्ति को एक से अधिक अवसरों पर अवयस्क के दुर्व्यापार के अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया जाना ।
दण्ड :आजीवन कारावास, जिससे उस व्यक्ती के शेष प्राकृत जीवनकाल का कारावास अभिप्रेत होगा और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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अपराध : लोक सेवक या किसी पुलिस अधिकारी का अवयस्क के दुर्व्यापार में अंतर्वलित होना ।
दण्ड :आजीवन कारावास, जिससे उस व्यक्ती के शेष प्राकृत जीवनकाल का कारावास अभिप्रेत होगा और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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१) जो कोई, शोषण के प्रयोजन के लिए –
पहला : धमकियों का प्रयोग करके ; अथवा
दुसरा : बल या किसी भी अन्य प्रकार के प्रपीडन (जबरद्स्ती) का प्रयोग करके ; अथवा
तीसरा : अपहरण द्वारा; अथवा
चौथा : कपट का प्रयोग करके या प्रवंचना द्वारा; अथवा
पाँचवा : शक्ति का दुरुपयोग करके ; अथवा
छठवॉं : उत्प्रेरणा द्वारा, जिसके अन्तर्गत ऐसे किसी व्यक्ती की, जो भर्ती किए गए, परिवहनित, संश्रित, स्थानांतरित या गृहीत व्यक्ती पर नियंत्रण रखता है, सम्मति प्राप्त करने के लिए भुगतान या फायदा देना या प्राप्त करना भी आता है,
किसी व्यक्ती या किन्हीं व्यक्तीयों को (क) भर्ती करता है, (ख) परिवहनित करता है, (ग) संश्रय देता है, (घ) स्थानांतरित करता है, या (ङ) गृहीत करता है, वह दुर्व्यापार का अपराध करता है ।
स्पष्टीकरण १ :
शोषण पद के अन्तर्गत शारीरिक शोषण का कोई कृत्य या किसी प्रकार का लैंगिक शोषण, दासता या दासता, अधिसेविता के समान व्यवहार या अंगो का बलात् अपसारण भी है ।
स्पष्टीकरण २ :
दुर्व्यापार के अपराध के अवधारण ( समाप्ति/ निर्धारण) में पीडित की सम्मति महत्वहीन है ।
२) जो कोइ दुर्व्यापार का अपराध करेगा वह कठोर कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक की हो सेकगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
३) जहां अपराध में एक से अधिक व्यक्तीयों का दुर्व्यापार अंतर्वलित है, वहां वह कठोर कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
४) जहां अपराध में किसी अवयस्क का दुर्व्यापार अंतर्वलित है, वह वहां वह कठोर कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
५) जहां अपराध में एक से अधिक अवयस्कों का दुर्व्यापार अंतर्वलित है, वहां वह कठोर कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि चौदह वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, और जुर्माने स भी दण्डित किया जाएगा ।
६) यदि किसी व्यक्ती को अवयस्क का एक से अधिक अवसरों पर दुर्व्यापार किए जाने के अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया जाता है तो ऐसा व्यक्ती आजीवन कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिससे उस व्यक्ती के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
७) जहां कोई लोक सेवक या कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ती के दुर्व्यापार में अंतर्वलित है, वहां ऐसा लोक सेवक या पुलिस अधिकारी आजीवन कारावास से दण्डि त किया जाएगा, जिससे उस व्यक्ती के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।)
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१. दण्ड विधि (संशोधन) २०१३ के अधिनियम सं० १३ की धारा ८ द्वारा प्रतिस्थापित ।