भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३६३ क :
१.(भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए अप्राप्तवय (अवयस्क / अप्रौढ ) का व्यपहरण (व्यक्ती को ले भागना) या विकलांगीकरण :
(See section 139 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : अप्राप्तवय का इसलिए व्यपहरण या अप्राप्तवय की अभिरक्षा इसलिए अभिप्राप्त करना कि ऐसा अप्राप्तवय भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए नियोजित या प्रयुक्त किया जाए ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ( राज्य संशोधन, मध्यप्रदेश : सेशन न्यायालय ) ।
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अपराध : अप्राप्ततय को इसलिए विकलांग करना कि ऐसा अप्राप्तवय भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए नियोजित या प्रयुक्त किया जाए ।
दण्ड :आजीवन कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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१) जो कोई किसी अप्राप्तवय (अवयस्क) का इसलिए व्यपहरण करेगा या अप्राप्तवय (अवयस्क) का विधिपूर्ण संरक्षक स्वयं न होते हुए अप्राप्तवय की अभिरक्षा इसलिए अभिप्राप्त करेगा कि ऐसा अप्राप्तवय भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए नियोजित या प्रयुक्त किया जाए, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
२) जो कोई किसी अप्राप्तवय को विकलांग इसलिए करेगा कि ऐसा अप्राप्तवय भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए नियोजित या प्रयुक्त किया जाए, वह आजीवन कारावास से दन्डनीय होगा और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
३) जहां कि कोई व्यक्ती जो अप्राप्तवय का विधिपूर्ण संरक्षक नहीं है, उस अप्राप्तवय को भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए नियोजित या प्रयुक्त करेगा वहां जबतक की तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उपधाराणा की जाएगी कि उसने इस उद्देश्य से उस अप्राप्तवय का व्यपहरण किया था या अन्यथा उसकी अभिरक्षा अभिप्राप्त की थी की वह अप्राप्तवय भीख मांगने के प्रयोजनों के लिए नियोजित या प्रयुक्त किया जाए ।
४) इस धारा में –
क) भीख मांगने से अभिप्रेत है –
एक) लोक स्थान में भिक्षा की याचना या प्राप्ति चाहे गाने, नाचने, भाग्य बताने, करतब दिखाने या चीजें बेचने के बहाने या अथवा अन्यथा करना;
दो) भिक्षा की याचना या प्राप्ति करने के प्रयोजन से किसी प्राइवेट (निजी) परिसर में प्रवेश करना ;
तीन) भिक्षा अभिप्राप्त या उद्यापित करने के उद्देश्य से अपना या किसी अन्य व्यक्ती का या जीवजन्तु (पशु) का कोई व्रण, घाव, क्षति, विरुपता या रोग अभिदर्शित या प्रदर्शित करना ;
चार) भिक्षा की याचना या प्राप्ति के प्रयोजन से अप्राप्तवय (अवयस्क) का प्रदर्शित के रुप में प्रयोग करना;
ख) अप्राप्तवय से वह व्यक्ती अभिप्रेत है जो –
एक ) यदि नर है, तो सोलह वर्ष से कम आयु का है; और
दो ) यदि नारी है, तो अठारह वर्ष से कम आयु की है ।
राज्य संशोधन :
मध्यप्रदेश : धारा ३६३ क के अधीन अपराध सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।)
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१. १९५९ के अधिनियम सं० ५२ की धारा २ द्वारा अन्त:स्थापित ।