भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३५४ घ :
१.(पीछा करना :
(See section 78 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : पीछा करना ।
दण्ड :प्रथम दोष सिद्धि के लिए तीन वर्ष तक का कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : पीछा करना ।
दण्ड :द्वितिय या पश्चातवर्ती दोषसिद्धी के लिए पाँच वर्ष तक का कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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१)ऐसा कोई पुरुष, जो –
एक) किसी स्त्री का उससे व्यक्तीगत अन्योन्य क्रिया को आगे बढाने के लिए, उस स्त्री द्वारा स्पष्ट रुप से अनिच्छा उपदर्शित किए जाने के बावजूद, बारंबार पीछा करता है और संपर्क करता है या संपर्क करने का प्रयत्न करता है; अथवा
दो) जो कोई किसी स्त्री द्वारा इंटरनेट, ई-मेल, या किसी अन्य प्ररुप की इलेक्ट्रॉनिक संसूचना का प्रयोग किए जाने का मानीटर(पर नजर रखता है) करता है ,
वह पीछा करने का अपराध करता है ।
परन्तु ऐसा आचरण पीछा करने की कोटि में नहीं आएगा, यदि वह पुरुष , जो ऐसा करता है, यह साबित कर देता है कि –
एक) ऐसा कार्य अपराध के निवारण या पता लगाने के प्रयोजन के लिए किया गया था और पिछा करने के अभियुक्त पुरुष को राज्य द्वारा उस अपराध के निवारण और पता लगाने का उत्तरदायित्व सौपा गया था; अथवा
दो) ऐसा किसी विधी के अधीन या किसी विधि के अधीन किसी व्यक्ती द्वारा अधिरोपित किसी शर्त या अपेक्षा का पालन करने के लिए किया गया था; अथवा
तीन) विशिष्ट परिस्थितियों में ऐसा आचरण कार्य युक्तियुक्त और न्यायोचित था ।
२) जो कोई पीछा करने का अपराध करता है, वह प्रथम दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा; और द्वितीय तथा पश्चात्वर्ती किसी दोषसिद्धी पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अविध पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।)
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१. दण्ड विधि संशोधन अधिनियम २०१३ (२०१३ का १३) धारा ७ द्वारा अन्त:स्थापित ।