Ipc धारा ३४८ : संस्वीकृति (अपराध स्विकृति) उद्यापित करने के लिए या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन (पुन:स्थापन /वापस दिलाया जाना) करने के लिए सदोष परिरोध :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३४८ :
संस्वीकृति (अपराध स्विकृति) उद्यापित करने के लिए या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन (पुन:स्थापन /वापस दिलाया जाना) करने के लिए सदोष परिरोध :
(See section 127(8) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : संस्वीकृति या जानकारी उद्यापित करने या सम्पत्ति आदि को प्रत्यावर्तित करने के लिए विवश करने आदि के प्रयोजन के लिए सदोष परिरोध ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी व्यक्ती का सदोष परिरोध इस प्रयोजन से करेगा, कि उस परिरुद्ध व्यक्ती से, कोई संस्वीकृति या कोई जानकारी, जिससे किसी अपराध या अवचार का पता चल सके, उद्यापित की जाए, या वह परिरुद्ध व्यक्ती या उससे हितबद्ध कोई व्यक्ती मजबूर किया जाए कि वह किसी संपत्ति या किसी मूल्यवान प्रतिभूति को प्रत्यावर्तित करे या करवाए या किसी दावे या मांग की तुष्टि करे या कोई ऐसी जानकारी दे जिससे किसी संपत्ति या किसी मूल्ववान प्रतिभूति का प्रत्यावर्तन किया कराया जा सके, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।

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