भारतीय दण्ड संहिता १८६०
अध्याय १५ :
धर्म से संबंधित अपराधों के विषय में :
धारा २९५ :
किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान को क्षति (नुकसान) करना या अपवित्र करना :
(See section 298 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : व्यक्तियों के किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से उपासना के स्थान अथवा किसी पवित्र वस्तु को नष्ट, नुकसान-ग्रस्त या अपवित्र करना ।
दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी उपासना के स्थान को या व्यक्तीयों के किसी वर्ग द्वारा पवित्र मानी गई किसी वस्तु को नष्ट, नुकसान ग्रस्त या अपवित्र, किसी वर्ग के धर्म का तद्द्वारा अपमान किया जाए इस आशय से करेगा, या यह संभाव्य जानते हुए करेगा कि व्यक्तीयों का कोई वर्ग ऐसे नाश, नुकसान या अपवित्र किए जाने को अपने धर्म के प्रति अपमान समझेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।