भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २७३ :
अपायकर खाद्य या पेय का विक्रय :
(See section 275 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : खाद्य और पेय के रुप में किसी खाद्य और पेय को, यह जानते हुए कि वह अपायकर है, बेचना ।
दण्ड :छह मास के लिए कारावास, या एक हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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राज्य संशोधन : उत्तरप्रदेश :
अपराध : खाद्य और पेय के रुप में किसी खाद्य और पेय को, यह जानते हुए कि वह अपायकर है, बेचना ।
दण्ड :जुर्माना सहित या रहित आजीवन कारावास ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई किसी ऐसी वस्तु को, जो अपायकारक कर दी गई हो, या हो गई हो, या खाने-पीने के लिए अनुपयुक्त दशा में हो, यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह खाद्य या पेय के रुप में अपायकारक है, खाद्य या पेय के रुप ेमें बेचेगा, या बेचने की प्रस्थापना करेगा या बेचने के लिए अभिदर्शित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा ।
राज्य संशोधन :
उत्तरप्रदेश : धाराओं २७२, २७३, २७४, २७५ और २७६ में शब्दों वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि ६ माह तक की हो सकेगी या जुर्माने से जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से दण्डित किया जाएगा के स्थान पर अग्रलिखित प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात –
आजीवन कारावास से दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा :
परन्तु यह कि पर्याप्त कारणों से जिनका उल्लेख निर्णय में किया जाएगा, न्यायालय ऐसे कारावास का दण्डादेश अधिरोपित कर सकेगा, जो कि आजीवन कारावास से कम हो ।