Ipc धारा २३५ : सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २३५ :
सिक्के के कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री उपयोग में लाने के प्रयोजन से उसे कब्जे में रखना :
(See section 181 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : सिक्के के कूटकरण के लिए उपयोग में लाने के प्रयोजन से उपकरण या सामग्री कब्जे में रखना ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : यदि वह भारतीय सिक्का है ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई किसी उपकरण या सामग्री को सिक्के के कूटकरण में उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से या यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह उस प्रयोजन के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, अपने कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किस भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ;
यदि भारतीय सिक्का हो :
और यदि कूटकरण किया जाने वाला सिक्का १.(भारतीय सिक्का) हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
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१. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा क्वीन के सिक्का के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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