भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २११ :
क्षति (नुकसान / हानी) करने के आशय से अपराध का मिथ्या आरोप करना :
(See section 248 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : क्षति करने के आशय से अपराध का मिथ्या आरोप ।
दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : यदि आरोपित अपराध सात वर्ष या उससे अधिक अवधि के कारावास से दंडनीय है ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : यदि आरोपित अपराध मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय है ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई किसी व्यक्ति को यह जानते हुए कि उस व्यक्ती के विरुद्ध ऐसी कार्यवाही या आरोप के लिए कोई न्यायसंगत या विधिपूर्ण आधार नहीं है, क्षति (नुकसान / हानी) कारित करने के आशय से उस व्यक्ती के विरुद्ध कोई दाण्डिक कार्यवाही संस्थित करेगा या करवाएगा या उस व्यक्ती पर मिथ्या आरोप लगाएगा कि उसने अपराध किया है वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दानों से दण्डित किया जाएगा;
और यदि ऐसी दण्डिक कार्यवाही मृत्यु, १.(आजीवन कारावास) या सात वर्ष या उससे अधिक के कारावास से दण्डनीय अपराध के मिथ्या आरोप संस्थित की जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।