Ipc धारा १९७ : मिथ्या प्रमाण पत्र जारी करना या हस्ताक्षरित करना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १९७ :
मिथ्या प्रमाण पत्र जारी करना या हस्ताक्षरित करना :
(See section 234 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी ऐसे तथ्य से संबंधित मिथ्या प्रमाणपत्र जानते हुए देना या हस्ताक्षरित करना जिसके लिए ऐसा प्रमाणपत्र विधि द्वारा साक्ष्य में ग्राह्य है ।
दण्ड :वही जो मिथ्या साक्ष्य देने या गढने के लिए है ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :वह न्यायालय जिसके द्वारा मिथ्या साक्ष देने का अपराध विचारणीय है ।
———–
जो कोई ऐसा प्रमाण पत्र, जिसका दिया जाना या हस्ताक्षरित किया जाना विधि द्वारा अपेक्षित हो, या जो किसी एसे तथ्य से संबंधित हो जिसका वैसा प्रमाण पत्र विधि द्वारा साक्ष्य में ग्राह्य हा, यह जानते हुए या विश्वास करते हुए कि वह किसी तात्विक बात के बारे में मिथ्या है, वैसा प्रमाण पत्र जारी करेगा या हस्ताक्षरित करेगा, वह वैसेही दण्डित किया जाएगा, जैसे मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो ।

Leave a Reply