भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १८० :
कथन पर हस्ताक्षर करने से इन्कार :
(See section 215 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लोक सेवक ससे किए गए कथन पर हस्ताक्षर करने से इन्कार करना जब वह वैसा करने के लिए वैध रुप से अपेक्षित है ।
दण्ड :तीन मास के लिए सादा कारावास, या पाँच सौ रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :अध्याय २६ के उपबंधो के अधीन रहते हुए वह न्यायालय जिसमें अपराध किया गया है या यदि अपराध न्यायालय में नहीं किया गया है तो कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई अपने द्वारा किए गए किसी कथन पर हस्ताक्षर करने को ऐसे लोक सेवक द्वारा अपेक्षा किए जाने पर, जो उससे यह अपेक्षा करने के लिए वैध रुप से सक्षम हा कि वह उस कथन पर हस्ताक्षर करे, उस कथन पर हस्ताक्षर करने से इन्कार करेगा, वह सादा कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पाँच सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।