Ipc धारा १५३ ख : १.(राष्ट्रीय अखण्डता (संघटन) पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन(अभ्यारोपण / तोहमत), प्राख्यान (बयान / दृढ कथन) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १५३ ख :
१.(राष्ट्रीय अखण्डता (संघटन) पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन(अभ्यारोपण / तोहमत), प्राख्यान (बयान / दृढ कथन) :
(See section 197 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन, प्राख्यान करना ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ( प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट : अब तक प्रवृत्त नहीं ) ।
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अपराध : यदि सार्वजनिक पूजा स्थल आदि पर किया जाए ।
दण्ड :पाँच वर्ष के लिए कारावास और २००० रुपए का जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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१)जो कोई बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यरुपणों द्वारा या अन्यथा –
क) ऐसा कोई लांछन (अभ्यारोपण) लगाएगा या प्रकाशित करेगा की किसी वर्ग के व्यक्ती इस कारण से कि वे किसी धार्मिक मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्य है, विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा नहीं रख सकते या भारत की प्रभुता और अखंडता की मर्यादा नहीं बनाए रख सकते; अथवा
ख) यह प्राख्यान (बयान) करेगा, परामर्श(सलाह) देगा, सलाह देगा, प्रचार करेगा या प्रकाशित करेगा कि किसी वर्ग के व्यक्तियों को इस कारण से कि वे किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदार के सदस्य है, भारत के नागरिक के रुप में उनके अधिकार न दिए जाएं या उन्हे वंचित किया जाए; अथवा
ग) किसी वर्ग के व्यक्तियों की बाध्यता के संबंध में इस कारण कि वे किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्य है, कोई प्राख्यान (बयान) करेगा, परामर्श(सलाह) देगा, अभिवाक् (अभिवचन) करेगा या अपील करेगा अथवा प्रकाशि करेगा और ऐसे प्राख्यान (बयान), परामर्श (सलाह), अभिवाक् (अभिवचन) या अपील से ऐसे सदस्यों तथा अन्य व्यक्तियों के बीच असामंज्यस्य, अथवा शत्रुता या घृणा या वैमनस्य की भावनाएं उत्तन्न होती है या शत्रुता या घृणा या वैमनस्य की भावनाएं उत्तन्न होनी संभाव्य है ,
वह कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकि अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
२) जो कोई उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट (वर्णित) कोई अपराध किसी उपासना स्थल में या धार्मिक उपासना अथवा धार्मिक कर्म करने में लगे हुए किसी जमाव में करेगा वह कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।)
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१. १९७२ के अधिनियम सं० ३१ की धारा २ द्वारा अन्त:स्थापित ।

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