भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १३२ :
विद्रोह का दुष्प्रेरण, यदि उसके परिणामस्वरुप विद्रोह किया जाए :
(See section 160 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : विद्रोह का दुष्प्रेरण, यदि उसके परिणामस्वरुप विद्रोह किया जाए ।
दण्ड :मृत्यु, या आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय
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जो कोई १.(भारत सरकार) की सेना, २.(नौसेना या वायुसेना) के किसी ऑफिसर, सैनिक, ३.(नौसेनिक या वायुसैनिक) द्वारा विद्रोह किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा, यदि उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरुप विद्रोह हो जाए, तो वह मृत्यु से, या ४.(आजीवन कारावास) से या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
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१. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा क्वीन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९२७ के अधिनियम सं० १० की धारा २ और अनुसूची १ द्वारा या नौसेना के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. १९२७ के अधिनियम सं० १० की धारा २ और अनुसूची १ द्वारा या नौसैनिक के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
४. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।