Ipc धारा ११७ : लोक साधारण (जनता) द्वारा या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ११७ :
लोक साधारण (जनता) द्वारा या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण :
(See section 57 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लोक साधारण द्वारा या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :इसके अनुसार कि दुप्रेरित अपराध संज्ञेय है या असंज्ञेय है ।
जमानतीय या अजमानतीय :इसके अनुसार कि दुष्प्रेरित अपराध जमानतीय है या अजमानतीय है ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :उस न्यायालय द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है ।
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जो कोई लोक साधारण द्वारा, या दस से अधिक व्यक्तियों की किसी भी संख्या या वर्ग द्वारा किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जा सकेगा ।
दृष्टांत :
(क), एक लोक स्थान में एक प्लेकार्ड चिपकाता है, जिसमें एक पंथ को जिसमें दस से अधिक सदस्य है, एक विरोधी पंथ के सदस्यों पर जब कि ये जुलूस निकालने में लगे हुए हों, आक्रमण करने के प्रयोजन से, किसी निश्चित समय और स्थान पर मिलने के लिए उकसाया गया है । (क) ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है ।

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