भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १०४ :
कब ऐसे अधिकार का विस्तार मृत्यू से भिन्न कोई अपहानि कारित करने तक का होता है :
(See section 42 of BNS 2023)
यदी वह अपराध, जिसके किए जाने या जिसके किए जाने के प्रयत्न से निजी(प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग का अवसर आता है, ऐसी चोरी, रिष्टी(नुकसान, हानी) या आपराधिक अतिचार है, जो पूर्वगामी अंतिम धारा में प्रगणित भांतियों में से किसी भांति का न हो, तो उस अधिकार का विस्तार स्वेच्छया मृत्यु कारित करने तक का नहीं होता, किन्तु उसका विस्तार धारा ९९ में वर्णित निर्बंधनों के अध्यधीन दोषकर्ता की मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि स्वेच्छया कारित करने तक का होता है ।