भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी में अध्याय ११ धारा २२३ से धारा २२९ क तक
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी में: अध्याय ११ : मिथ्या साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों के विषय में : धारा २२३ : लोक सेवक द्वारा उपेक्षा (लापरवाह) से परिरोध या अभिरक्षा में से निकल भागना सहन करना : अपराध का वर्गीकरण : दण्ड :दो वर्ष के लिए सादा… more »
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भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी में अध्याय ११ धारा २१६ से धारा २२२ तक
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी में: अध्याय ११ : मिथ्या साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों के विषय में : धारा २१६ : ऐसे अपराधी को संश्रय (आसरा) देना, जो अभिरक्षा से निकल भागा है या जिसको पकडने का आदेश दिया जा चुका है : अपराध का वर्गीकरण : दण्ड :सात… more »
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी में अध्याय ११ धारा २०८ से धारा २१५ तक
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी में: अध्याय ११ : मिथ्या साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों के विषय में : धारा २०८ : ऐसी राशि के लिए जो शोध्य न हो कपटपूर्वक डिक्री (न्यायपत्र) होने देना सहन करना : अपराध का वर्गीकरण : दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास, या… more »
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी में अध्याय ११ धारा १९८ से धारा २०७ तक
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी में: अध्याय ११ : मिथ्या साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों के विषय में : धारा १९८ : प्रमाण पत्र को जिसका मिथ्या होना ज्ञात है पर सच्चे के रुप में काम सें लाना : अपराध का वर्गीकरण : दण्ड :वही जो मिथ्या साक्ष्य देने या… more »
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी में अध्याय ११ धारा १९१ से धारा १९७ तक
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी में: अध्याय ११ : मिथ्या साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों के विषय में : धारा १९१ : मिथ्या साक्ष देना : जो कोई शपथ द्वारा या विधि के किसी अभिव्यक्त उपबंध द्वारा सत्य कथन करने के लिए या किसी विषयी पर घोषणा करने के लिए… more »