Hsa act 1956 धारा २ : अधिनियम का लागू होना :

हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम १९५६
धारा २ :
अधिनियम का लागू होना :
(१) यह अधिनियम लागू है –
(a)(क) ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो हिन्दू धर्म के किसी भी रूप या विकास के अनुसार, जिसके अन्तर्गत वीरशैव, लिंगायत अथवा ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज या आर्य समाज के अनुयायी भी आते हैं, धर्मतः हिन्दू हो;
(b)(ख) ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो धर्मतः बौद्ध, जैन या सिक्ख हो; तथा
(c)(ग) ऐसे किसी भी अन्य व्यक्ति को जो धर्मतः मुस्लिम, क्रिश्चियन, पारसी या यहूदी न हो, जब तक कि यह साबित न कर दिया जाए कि यदि यह अधिनियम पारित न किया गया होता तो ऐसा कोई भी व्यक्ति एतस्मिन उपबन्धित किसी भी बात के बारे में हिन्दू विधि या उस विधि के भागरूप किसी रुढि या प्रथा द्वारा शासित न होता।
स्पष्टीकरण :
निम्नलिखित व्यक्ति धर्मतः, यथास्थिति, हिन्दू, बौद्ध जैन या सिक्ख हैं :-
(a)(क) कोई भी अपत्य, धर्मज या अधर्मज, जिसके माता-पिता दोनों ही धर्मतः हिन्दू, बौद्ध, जैन या सिक्ख हों;
(b)(ख) कोई भी अपत्य, धर्मज या अधर्मज, जिसके माता-पिता में से कोई एक धर्मतः हिन्दू, बौद्ध जैन या सिक्ख हो और जो उस जनजाति, समुदाय, समूह या कुटुम्ब के सदस्य के रूप में पला हो जिसका वह माता या पिता सदस्य है या था;
(c)(ग) कोई भी ऐसा व्यक्ति जो हिन्दू, बौद्ध, जैन या सिक्ख धर्म में संपरिवर्तित या प्रतिसंपरिवर्तित हो गया हो।
(२) उपधारा (१) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, इस अधिनियम में अन्तर्विष्ट कोई भी बात किसी ऐसी जनजाति के सदस्यों को, जो संविधान के अनुच्छेद ३६६ के खण्ड (२५) के अर्थ के अन्तर्गत अनुसूचित जनजाति हो, लागू न होगी जब तक कि केन्द्रीय सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा अन्यथा निदिष्ट न कर दे।
(३) इस अधिनियम के किसी भी प्रभाग में आए हुए हिन्दू पद का ऐसा अर्थ लगाया जाएगा मानो उसके अन्तर्गत ऐसा व्यक्ति आता हो जो यद्यपि धर्मतः हिन्दू नहीं है तथापि ऐसा व्यक्ति है जिसे वह अधिनियम इस धारा में अन्तर्विष्ट उपबन्धों के आधार पर लागू होता है।

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