हिन्दू विवाह अधिनियम १९५५
धारा ७ :
हिन्दू विवाह के लिए कर्मकांड :
(१) हिन्दू विवाह उसके पक्षकारों में से किसी को भी रूढिगत रीतियों और कर्मकांड के अनुसार अनुष्ठापित किया जा सकेगा ।
(२) जहां कि ऐसी रीतियों और कर्मकांड के अन्तर्गत सप्तपदी (अर्थात अग्नि के समक्ष वर और वधू द्वारा संयुक्ततः सात पद चलना) आती हो वहां विवाह पूर्ण और आबद्धकर तब होता है जब सातवां पद चल लिया जाता है ।