हिन्दू विवाह अधिनियम १९५५
धारा २८क :
डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन :
इस अधिनियम के अधीन किसी कार्यवाही में न्यायालय द्वारा दी गई सभी डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन उसी प्रकार किया जाएगा जिस प्रकार उस न्यायालय द्वारा अपनी आरंभिक सिविल अधिकारिता के प्रयोग में दी गई डिक्रियों और आदेशों का तत्समय प्रवर्तन किया जाता है।)
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१. १९७६ के अधिनियम सं० ६८ की धारा १९ द्वारा प्रतिस्थापित।