खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम २००६
धारा ९७ :
निरसन और व्यावृत्तियां :
१) ऐसी तारीख से जिसे केन्द्रीय सरकार इस निमित्त नियत करे, दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट अधिनियमिति और आदेश निरसित हो जाएंगे :
परन्तु ऐसा निरसन निम्नलिखित को प्रभावित नहीं करेगा-
एक) निरसन के अधीन अधिनियमिति और आदेशों का पूर्व प्रवर्तन या उनके अधीन सम्यक् रूप से की गई या सहन की गई कोई बात; या
दो) निरसन के अधीन अधिनियमिति या आदेशों में से किसी के अधीन अर्जित, प्रोद्भूत या उपगत कोई अधिकार, विशेषाधिकार, बाध्यता या दायित्व; या
तीन) निरसन के अधीन अधिनियमिति और आदेशों के विरुद्ध किए गए किन्हीं अपराधों की बाबत उपगत कोई शास्ति, समपहरण या दण्ड; या
चार) किसी ऐसी शास्ति, समपहरण या दण्ड की बाबत कोई अन्वेषण या उपचार,
और कोई ऐसा अन्वेषण, विधिक कार्यवाहियां या उपचार संस्थित, जारी या प्रवृत्त रखी जा सकेंगी और कोई ऐसी शास्ति, समपहरण या दण्ड इस प्रकार अधिरोपित किया जा सकेगा, मानो यह अधिनियम पारित नहीं हुआ हो ।
२) यदि किसी राज्य में तत्समय इस अधिनियम के तत्समान, कोई अन्य विधि प्रवृत्त है, तो वह इस अधिनियम के प्रारंभ से ही निरसित हो जाएगी और ऐसी दशा में साधारण खंड अधिनियम, १८९७ (१८९७ का १०) की धारा ६ के उपबंध इस प्रकार लागू होंगे मानो राज्य विधि के ऐसे उपबंध निरसित किए जा चुके हैं।
३) पूर्वोक्त अधिनियमिति और आदेशों के निरसन या आदेश के होते हुए भी, ऐसी किसी अधिनियमिति के अधीन जारी की गई अनुज्ञप्तियां जो इस अधिनियम के प्रारंभ होने की तारीख को प्रवृत्त हैं, सभी प्रयोजनों के लिए उनके अवसान की तारीख तक प्रवृत्त रहेंगी, मानो उन्हें इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों या विनियम के उपबंधों के अधीन जारी किया गया था।
४) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, कोई न्यायालय निरसित अधिनियम या आदेशों के अधीन किसी अपराध का संज्ञान इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से तीन वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात् नहीं करेगा ।
