खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम २००६
अध्याय १० :
न्यायनिर्णयन और खाद्य सुरक्षा अपील अधिकरण :
धारा ६८ :
न्यायनिर्णयन :
१) इस अध्याय के अधीन न्यायनिर्णयन के प्रयोजनों के लिए, उस जिले के, जहां अभिकथित अपराध किया जाता है, अपर जिला मजिस्ट्रेट की पंक्ति से अन्यून के किसी अधिकारी को, न्यायनिर्णयन के लिए न्यायनिर्णायक अधिकारी के रूप में ऐसी रीति में जो केन्द्रीय सरकार विहित करे राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाएगा।
२) न्यायनिर्णायक अधिकारी, मामले में अभ्यावेदन करने के लिए उस व्यक्ति को युक्तियुक्त अवसर देने के पश्चात् और यदि, ऐसी जांच पर उसका यह समाधान हो जाता है कि उस व्यक्ति ने इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों या विनियमों के उपबंधों का उल्लंघन किया है, तो ऐसी शास्ति अधिरोपित कर सकेगा जो वह उस अपराध से संबंधित उपबंधों के अनुसार उचित समझे-
३) न्यायनिर्णायक अधिकारी को सिविल न्यायालय की शक्तियां होंगी और-
(a) क) उसके समक्ष सभी कार्यवाहियां भारतीय दंड संहिता (१८६० का ४५) की धारा १९३ और धारा २२८ के अर्थातर्गत न्यायिक कार्यवाहियां समझी जाएंगी;
(b) ख) दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) की धारा ३४५ और धारा ३४६ धारा के प्रयोजनों के लिए न्यायालय समझा जाएगा।
४) न्यायनिर्णायक अधिकारी इस अध्याय के अधीन शास्ति की मात्रा का न्यायनिर्णयन करते समय धारा ४९ में विनिर्दिष्ट मार्गदर्शक सिद्धांतों का सम्यक् ध्यान रखेगा।