Fssai धारा २२ : आनुवंशिक रूप से उपांतरित खाद्य, कार्बनिक खाद्य, फलीय खाद्य, निजस्वमूलक खाद्य, आदि :

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम २००६
धारा २२ :
आनुवंशिक रूप से उपांतरित खाद्य, कार्बनिक खाद्य, फलीय खाद्य, निजस्वमूलक खाद्य, आदि :
इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए विनियमों में जैसा उपबंधित है उसके सिवाय, कोई व्यक्ति कोई आदर्श खाद्य, आनुवंशिक रूप से उपांतरित खाद्य पदार्थ, किरणित खाद्य, कार्बनिक खाद्य, विशेष आहार उपयोगों के खाद्य, फलीय कृतकारी खाद्य, पोषणीय, स्वास्थ्यपूरक तत्व, निजस्वमूलक खाद्य और इसी प्रकार के अन्य खाद्य पदार्थों का विनिर्माण, वितरण, विक्रय या आयात नहीं करेगा।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए-
१) विशेष आहार उपयोगों के खाद्य या फलीय खाद्य या पोषणीय या स्वास्थ्यपूरक खाद्य से अभिप्रेत है,-
(a) क) ऐसे खाद्य जो विशिष्ट आहार संबंधी आवश्यकताओं को जो किसी विशिष्ट शारीरिक या मानसिक दशा या विनिर्दिष्ट रोग या विकार के कारण उत्पन्न होती हैं, पूरा करने के लिए विशेष रूप से प्रसंस्कृत या तैयार किए जाते हैं और ऐसे खाद्य उसी स्थिति में ही प्रस्तुत किए जाते हैं, जिसमें ऐसे खाद्य पदार्थों की संरचना उसी प्रकृति के सामान्य खाद्य की संरचना से काफी भिन्न होती है यदि ऐसा सामान्य खाद्य विद्यमान है और उसमें निम्नलिखित में से कोई एक या अधिक संघटक अंतर्विष्ट हों, अर्थात्ः-
एक) जल, इथाइल अल्कोहल या हाइड्रोअल्कोहलिक सार में चूर्ण, सांद्र या सत के रूप में पौधों या वनस्पति या उनके भाग एकल रूप में या समुच्चय रूप में;
दो) खनिज या विटामिन या प्रोटीन या धातु या उनके मिश्रण या अमीनो अम्ल (मात्रा में भारतीयों के लिए सिफारिश किए गए दैनिक अनुज्ञेय मात्रा से अनधिक) या एन्जाइम्स (अनुज्ञेय सीमाओं के भीतर);
तीन) पशु मूल से पदार्थ;
चार) कुल आहार में वृद्धि करके आहार की पूर्ति के लिए मानव द्वारा उपयोग हेतु आहार संबंधी पदार्थ;
(b) ख) एक) ऐसा उत्पाद जिस पर विशेष आहार उपयोगों के लिए खाद्य या फलीय खाद्य या पोषक खाद्य या स्वास्थ्यवर्धक या ऐसे ही अन्य खाद्य का लेबल लगाया गया है जो पारंपरिक खाद्य के रूप में उपयोग के लिए प्रस्तुत नहीं किया जाता है और जिसके द्वारा ऐसे उत्पाद चूर्ण, दानों, टिकियों, कैप्स्यों, द्रवों, जेली और अन्य खुराक के रूप में तैयार किए जाते हैं किन्तु वे मूल नहीं होते और वे मुंह से खाए जाते हैं;
दो) ऐसे उत्पाद में ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, १९४० (१९४० का २३ ) की धारा ३ के खंड (b) (ख) और उसके अधीन बनाए गए नियमों में यथापरिभाषित ओषधि और उस धारा के खंड (a) (क) और खंड (h) (ज) में यथापरिभाषित आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी ओषधि सम्मिलित नहीं हैं;
तीन) किसी विनिर्दिष्ट रोग, विकार या दशा को ठीक करने या कम करने का दावा नहीं करता (कतिपय स्वास्थ्य संबंधी फायदे या ऐसे संवर्धन दावों के सिवाय) जो इस अधिनियम के अधीन बनाए गए विनियमों द्वारा अनुज्ञात हो;
चार) इसके अतंर्गत स्वापक औषधि या मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम, १९८५ (१९८५ का ६१) और उसके अधीन बनाए गए नियमों में यथापरिभाषित स्वापक औषधि या मनः प्रभावी पदार्थ तथा औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, १९४५ की अनुसूची (E) (ङ) और अनुसूची (E-1) (ङ-१) में सूचीबद्ध पदार्थ नहीं हैं;
२) आनुवंशिक रूप से निर्मित या उपान्तरित खाद्य से ऐसे खाद्य और खाद्य संघटक जो आनुवंशिक रूप से ऐसे उपान्तरित या निर्मित अवयवों से बनाए गए हैं, जो आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से अभिप्राप्त किए जाते हैं या आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से अभिप्राप्त किए गए आनुवंशिक रूप से उपान्तरित या निर्मित संघटकों से उत्पादित खाद्य और खाद्य संघटक अभिप्रेत हैं किन्तु जिनमें ये तत्व अन्तर्विष्ट नहीं हैं;
३) कार्बनिक खाद्य से ऐसे खाद्य उत्पाद अभिप्रेत हैं, जिन्हें विनिर्दिष्ट कार्बनिक उत्पादन मानकों के अनुसार उत्पादित किया गया है;
४) निजस्वमूलक और आदर्श खाद्य से ऐसा खाद्य पदार्थ अभिप्रेत है, जिसके लिए मानक विनिर्दिष्ट नहीं किए गए हैं किन्तु यह असुरक्षित नहीं हैं :
परन्तु ऐसे खाद्य में ऐसे खाद्य और संघटक अन्तर्विष्ट नहीं हैं, जो इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए विनियमों के अधीन प्रतिषिद्ध हैं।

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