खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम २००६
धारा १६ :
खाद्य प्राधिकरण के कर्तव्य और कृत्य :
१) खाद्य प्राधिकरण का यह कर्तव्य होगा कि वह खाद्य के विनिर्माण, प्रसंस्करण, वितरण, विक्रय और आयात को विनियमित करे और उसकी मानीटरी करे जिससे कि सुरक्षित और स्वास्थ्यप्रद खाद्य सुनिश्चित किया जा सके ।
२) उपधारा (१) के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, खाद्य प्राधिकरण विनियमों द्वारा निम्नलिखित विनिर्दिष्ट कर सकेगा –
(a) क) खाद्य पदार्थो के संबंध में मानक और मार्गदर्शक सिद्धांत और इस अधिनियम के अधीन अधिसूचित विभिन्न मानकों के प्रवर्तन के लिए समुचित प्रणाली विनिर्दिष्ट करना;
(b) ख) खाद्य योज्यकों, फसल संदूषकों, नाशकजीवमार अवशिष्टों, पशु चिकित्सा औषधियों के अवशिष्ट, भारी धातुओं, प्रसंस्करण सहायकों, सूक्ष्म विषाणुओं, प्रतिजैविक और भेषजीय कारक पदार्थो और खाद्य प्रदीपकों के उपयोग कि सीमाएं;
(c) ग) खाद्य कारबार के लिए खाद्य सुरक्षा प्रबंध प्रणाली के प्रमाणन में लगे प्रमाणन निकायों के प्रत्यायन के लिए तंत्र और मार्गदर्शक सिद्धांत;
(d) घ) भारत में आयातित किसी खाद्य पदार्थ के संबंध में क्वालिटी नियंत्रण की प्रक्रिया और प्रवर्तन;
(e) ङ) प्रयोगशालाओं के प्रत्यायन और प्रत्यायित प्रयोगशालाओं की अधिसूचना के लिए प्रक्रिया और मार्गदर्शक सिद्धांत;
(f) च) नमूने लेने, विश्लेषण और प्रवर्तन प्राधिकारियों के बीच सूचना के आदान-प्रदान का ढंग;
(g) छ) देश में इस अधिनियम के प्रवर्तन और प्रशासन का सर्वेक्षण करना;
(h) ज) खाद्य लेबल लगाने संबंधी मानक जिसके अंतर्गत खाद्य के लिए स्वास्थ्य, पोषण, विशेष आहार उपयोगों और खाद्य प्रवर्ग प्रणालियों पर दावे भी है; और
(i) झ) वह रीति जिसमें और वह प्रक्रिया जिसके अधीन रहते हुए जोखिम विश्लेषण, जोखिम निर्धारण, जोखिम संसूचना और जोखिम प्रबंध किया जाएगा ।
३) खाद्य प्राधिकरण निम्नलिखित कार्य भी करेगा –
(a) क) उन क्षेत्रों में, जो खाद्य सुरक्षा और पोषण से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध रखते है, नीति और नियम बनाने के विषय में केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारों को वैज्ञानिक सलाह और तकनीकी समर्थन देना;
(b) ख) विशिष्टत: निम्नलिखित से संबंधित सुसंगत वैज्ञानिक और तकनीकी आंकडों को ढूंढना, उनका संग्रहण करना, उन्हें मिलाना, उनका विश्लेषण करना तथा उन्हें संक्षिप्त करना –
एक) खाद्य उपभोग और व्यष्टियों का खाद्य के उपभोग से संबंधित जोखिमों के प्रति उद्भासन;
दो) जैविक जोखिम की घटना और उनकी विद्यमानता;
तीन) खाद्य में संदूषक;
चार) विभिन्न संदूषकों के अवशिष्ट;
पांच) सामने आने वाले जोखिमों की पहचान करना; और
छह) द्रुत सतर्क प्रणाली आरंभ करना;
(c) ग) जोखिम निर्धारण पद्धतियों का संवर्धन, समन्वय और उनके विकास के लिए दिशा-निर्देश जारी करना तथा उनकी मानीटरी करना और उनका संचालन करना और केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकारों और खाद्य सुरक्षा आयुक्तों को स्वास्थ्य और खाद्य के पोषण संबंधी जोखिमों पर संदेश अग्रेषित करना;
(d) घ) खाद्य सुरक्षा के संबंध में संकटकालीन प्रबंध प्रक्रियाओं के कार्यान्वयन में केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारों को वैज्ञानिक और तकनीकी सलाह देना और उनकी सहायता करना और इस संबंध में केंद्रीय सरकार द्वारा स्थापित संकटकालीन एकक के साथ निकट सहयोग से संकटकालीन प्रबंध और कार्य के लिए साधारण योजना बनाना;
(e) ङ) खाद्य प्राधिकरण के उत्तरदायित्व के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में कार्यकलापों के समन्वय, सूचना के आदान-प्रदान, संयुक्त परियोजनाओं के विकास और कार्यान्वयन, विशेषज्ञता का आदान-प्रदान और उन क्षेत्रों में सर्वोत्तम व्यवहारों द्वारा वैज्ञानिक सहयोग की रूपरेखा का सुकर बनाने के उद्देश्य से संगठन की नेटवर्क प्रणाली स्थापित करना;
(f) च) अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए केंद्रीय सरकार को और राज्य सरकारों को वैज्ञानिक और तकनीकी सहायता देना;
(g) छ) यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसे सभी कदम उठाना कि जनता, उपभोक्ता, हितबद्ध पक्षकारों और पंचायती राज संस्थाओं के सभी स्तरों पर समुचित पद्धतियों और साधनों के माध्यम से द्रुत, विश्वसनीय, विषयपरक और व्यापक सूचना प्राप्त कर सके;
(h) ज) उनके क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले या ऐसे बाह्य व्यक्तियों को, जो खाद्य कारबार में अंतर्वलित हैं या होने के लिए आशयित हैं, चाहे वह खाद्य कारबारकर्ता या कमर्चारी के रूप में या अन्यथा कार्य करते हैं, खाद्य सुरक्षा और मानकों में प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध कराना;
(i) झ) इस अधिनियम के उद्देश्यों को कार्यान्वित करने के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा उसे समनुदेशित कोई अन्य कार्य करना;
(j) ञ) खाद्य, स्वच्छता और पादप स्वच्छता मानकों के लिए अंतरराष्ट्रीय तकनीकी मानकों के विकास में सहयोग करना;
(k) ट) विशिष्ट खाद्य संबंधी उपायों की समानता की मान्यता पर करार के विकास में, जहां सुसंगत और समुचित हो, सहयोग करना;
(l) ठ) अतंरराष्ट्रीय सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा आरंभ किए गए खाद्य मानक संबंधी कार्य के समन्वय का संवर्धन करना;
(m) ड) यह सुनिश्चित करते हुए कि देश में अंगीकृत संरक्षण का स्तर कम नहीं हुआ है, अंतरराष्ट्रीय तकनीकी मानकों और देशी खाद्य मानकों के बीच संगतता का संवर्धन करना; और
(n) ढ) खाद्य सुरक्षा और खाद्य मानकों के बारे में आम जागरुकता का संवर्धन करना।
४) खाद्य प्राधिकरण अनुचित विलंब किए बिना निम्नलिखित को सार्वजनिक करेगा-
(a) क) अंगीकार किए जाने के तुरंत पश्चात्, वैज्ञानिक समिति और वैज्ञानिक पैनल की राय;
(b) ख) खाद्य प्राधिकरण के सदस्यों, मुख्य कार्यपालक अधिकारी, सलाहकार समिति के सदस्यों और वैज्ञानिक समिति और वैज्ञानिक पैनल के सदस्यों द्वारा की गई हित संबंधी वार्षिक घोषणाएं तथा साथ ही बैठकों की कार्यसूची की मदों के संबंध में की गई, हित संबंधी घोषणाएं यदि कोई हों;
(c) ग) इसके वैज्ञानिक अध्ययनों के परिणाम; और
(d) घ) इसके क्रियाकलापों की वार्षिक रिपोर्ट।
५) खाद्य प्राधिकरण, समय-समय पर खाद्य सुरक्षा आयुक्त को खाद्य सुरक्षा और मानकों से संबंधित विषय पर निदेश दे सकेगा जो इस अधिनियम के अधीन अपनी शक्तियों का प्रयोग करते समय ऐसे निदेशों से आबद्ध होगा।
६) खाद्य प्राधिकरण ऐसी गोपनीय सूचना को, जिसे वह प्राप्त करता है और जिसके लिए गोपनीय व्यवहार के लिए अनुरोध किया गया है और ऐसे अनुरोध को मान लिया गया है, सिवाय उस सूचना के, जिन्हें यदि परिस्थितियों में ऐसा अपेक्षित हो, जनता के स्वास्थ्य की रक्षा करने की दृष्टि से सार्वजनिक किया जाना आवश्यक हो, पर पक्षकारों को न तो प्रकट करेगा और न ही प्रकट करवाएगा।