पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम १९८६
धारा २ :
परिभाषाएं :
इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,
(a) (क) पर्यावरण के अंतर्गत जल, वायु और भूमि हैं और वह अंतर संबंध है जो जल, वायु और भूमि तथा मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों और सूक्ष्मजीव और संपत्ति के बीच विद्यमान है;
(b) (ख) पर्यावरण प्रदूषण से ऐसा ठोस, द्रव या गैसीय पदार्थ अभिप्रेत है जो ऐसी सांद्रता में विद्यमान है जो पर्यावरण के लिए क्षतिकर हो सकता है या जिसका क्षतिकर होना संभाव्य है ;
(c) (ग) पर्यावरण प्रदूषण से पर्यावरण में पर्यावरण प्रदूषकों का विद्यमान होना अभिप्रेत है;
(d) (घ) किसी पदार्थ के संबंध में, हथालना से ऐसे पदार्थ का विनिर्माण, प्रसंस्करण, अभिक्रियान्वयन, पैकेज, भंडारकरण, परिवहन, उपयोग, संग्रहण, विनाश, संपरिवर्तन, विक्रय के लिए प्रार्थना, अंतरण या वैसी ही संक्रिया अभिप्रेत है ;
(e) (ङ) परिसंकटमय पदार्थ से ऐसा पदार्थ या निर्मिति अभिप्रेत है जो अपने रासायनिक या भौतिक-रासायनिक गुणों के या हथालने के कारण मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों, सूक्ष्मजीव, संपत्ति या पर्यावरण को अपहानि कारित कर सकती है ;
(f) (च) किसी कारखाने या परिसर के संबंध में, अधिष्ठाता से कोई ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसका कारखाने या परिसर के कामकाज पर नियंत्रण है और किसी पदार्थ के संबंध में ऐसा व्यक्ति इसके अंतर्गत है जिसके कब्जे में वह पदार्थ भी है ;
(g) (छ) विहित से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है।