Epa act 1986 धारा १० : प्रवेश और निरीक्षण की शक्तियां :

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम १९८६
धारा १० :
प्रवेश और निरीक्षण की शक्तियां :
(१) इस धारा के उपबन्धों के अधीन रहते हए, केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त सशक्त किसी व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि वह सभी युक्तियुक्त समयों पर ऐसी सहायता के साथ जो वह आवश्यक समझे किसी स्थान में निम्नलिखित प्रयोजन के लिए प्रवेश करे, अर्थात:-
(a) (क) उसे सौंपे गए केन्द्रीय सरकार के कृत्यों में से किसी का पालन करना;
(b) (ख) यह अवधारित करने के प्रयोजन के लिए कि क्या ऐसे किन्हीं कृत्यों का पालन किया जाना है और यदि हां तो किस रीति से किया जाना है या क्या इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के किन्हीं उपबन्धों का या इस अधिनियम के अधीन तामील की गई सूचना, निकाले गए आदेश, दिए गए निर्देश या अनुदत्त प्राधिकार का पालन किया जा रहा है या किया गया है;
(c) (ग) किसी उपस्कर, औद्योगिक संयंत्र, अभिलेख, रजिस्टर, दस्तावेज या किसी अन्य सारवान पदार्थ की जांच या परीक्षा करने के प्रयोजन के लिए अथवा किसी ऐसे भवन की तलाशी लेने के लिए, जिसके संबंध में उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उसके भीतर इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन कोई अपराध किया गया है या किया जा रहा है या किया जाने वाला है और ऐसे किसी उपस्कर, औद्योगिक संयंत्र, अभिलेख, रजिस्टर, दस्तावेज या अन्य सारवान पदार्थ का उस दशा में अभिग्रहण करने के लिए, जब उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उससे इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन दंडनीय किसी अपराध के किए जाने का साक्ष्य दिया जा सकेगा अथवा ऐसा अभिग्रहण पर्यावरण प्रदूषण का निवारण करने या उसे कम करने के लिए आवश्यक है।
(२) प्रत्येक व्यक्ति जो कोई उद्योग चलाता है, कोई क्रिया या प्रक्रिया करता है या कोई परिसंकटमय पदार्थ हथालता है, ऐसे व्यक्ति को सभी सहायता देने के लिए आबद्ध होगा, जिसे उपधारा (१) के अधीन केन्द्रीय सरकार ने उस उपधारा के अधीन कृत्यों को करने के लिए सशक्त किया है और यदि वह किसी युक्तियुक्त कारण या प्रतिहेतु के बिना ऐसा करने में असफल रहेगा तो वह इस अधिनियम के अधीन अपराध का दोषी होगा।
(३) व्यक्ति कोई व्यक्ति उपधारा (१) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा सशक्त किसी व्यक्ति को, उसके कृत्यों के निर्वहन में जानबूझकर विलम्ब करेगा या बाधा पहुंचाएगा तो वह इस अधिनियम के अधीन अपराध का दोषी होगा।
(४) दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) के उपबंध या १. (जम्मू-कश्मीर राज्य) किसी ऐसे क्षेत्र में जिसमें वह संहिता प्रवृत्त नहीं है, उस राज्य या क्षेत्र में प्रवृत्त किसी तत्स्थानी विधि के उपबन्ध, जहां तक हो सके, इस धारा के अधीन किसी तलाशी या अभिग्रहण को वैसे ही लागू होंगे जैसे वे, यथास्थिति, उक्त संहिता की धारा ९४ के अधीन या उक्त विधि के तत्स्थानी उपबन्ध के अधीन जारी किए गए वारण्ट के प्राधिकार के अधीन की गई किसी तलाशी या अभिग्रहण को लागू होते हैं।
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१. अधिसूचना संख्या एस. ओ. ३९१२ (ई), दिनांक ३० अक्टूबर, २०१९, यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश पर लागू होता है।

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