दहेज प्रतिषेध अधिनियम १९६१
धारा ८ :
१.(अपराधों का कुछ प्रयोजनों के लिए संज्ञेय होना तथा जमानतीय और अशमनीय होना :
(१) दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) इस अधिनियम के अधीन अपराधों को वैसे ही लागू होगी मानो वे –
(a)(क) ऐसे अपराधों के अन्वेषण के प्रयोजनों के लिए; और
(b)(ख) निम्नलिखित से भिन्न विषयों के प्रयोजनों के लिए –
(एक) उस संहिता की धारा ४२ में विनिर्दिष्ट विषय; और
(दो) किसी व्यक्ति को वारण्ट के बिना या मजिस्ट्रेट के किसी आदेश के बिना गिरफ्तारी,
संज्ञेय अपराध हों।
(२) इस अधिनियम के अधीन प्रत्येक अपराध २.(अजमानतीय) और अशमनीय होगा।
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१.१९८४ के अधिनियम सं० ६३ की धारा ७ द्वारा (२-१०-१९८५ से) धारा ८ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२.१९८६ के अधिनियम सं. ४३ की धारा ७ द्वारा (१९-११-१९८६ से) जमानतीय शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।