दहेज प्रतिषेध अधिनियम १९६१
धारा ४क :
१.(विज्ञापन पर पाबंदी :
यदि कोई व्यक्ति-
(a)(क) अपने पुत्र या पुत्री या किसी अन्य नातेदार के विवाह के प्रतिफलस्वरूप किसी समाचारपत्र, नियतकालिक पत्रिका, जरनल या किसी अन्य माध्यम से, अपनी सम्पत्ति या किसी धन के अंश या दोनों के किसी कारबार या अन्य हित में किसी अंश की प्रस्थापना करेगा,
(b)(ख) खण्ड (क) में निर्दिष्ट कोई विज्ञापन मुद्रित करेगा या प्रकाशित करेगा या परिचालित करेगा,
तो वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी, किन्तु जो पांच वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो पन्द्रह हजार रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा:
परन्तु न्यायालय, ऐसे पर्याप्त और विशेष कारणों से जो निर्णय में लेखबद्ध किए जाएंगे, छह मास से कम की किसी अवधि के कारावास का दंडादेश अधिरोपित कर सकेगा।)
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१.१९८६ के अधिनियम सं० ४३ की धारा ४ द्वारा (१९-११-१९८६ से) अन्तःस्थापित।