सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम २००३
धारा २५ :
धारा ४ और धारा ६ के अधीन अपराधों के निवारण, निरोध और विचारण का स्थान :
(१) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार, तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, एक या अधिक व्यक्तियों को प्राधिकृत कर सकेगी जो इस अधिनियम के अधीन कार्य करने के लिए सक्षम होंगे:
परन्तु इस प्रकार प्राधिकृत व्यक्ति, यदि उसके पास यह विश्वास करने के लिए युक्तियुक्त आधार हैं कि किसी व्यक्ति ने धारा ४ या धारा ६ के अधीन अपराध किया है तो वह ऐसे व्यक्ति को तब तक निरुद्ध कर सकेगा जब तक कि अभियुक्त व्यक्ति, अपना नाम और पता नहीं बता देता है और उसे निरुद्ध करने वाले अधिकारीका अन्यथा समाधान नहीं कर देता है कि वह किसी समन या अन्य कार्यवाहियों का उसके विरुद्ध जो की जाएं सम्यक्त: उत्तर देगा।
(२) उपधारा (१) के अधीन निरुद्ध किए गए किसी व्यक्ति को विधि के अनुसार कार्यवाही किए जाने के लिए तुरंत मजिस्टड्ढेट के समक्ष ले जाया जाएगा।
(३) धारा ४ या धारा ६ के अधीन अपराध करने वाले किसी व्यक्ति का ऐसे अपराध के लिए किसी ऐसे स्थान पर जहां वह है या जिसे राज्य सरकार इस निमित्त अधिसूचित करे, साथ ही ऐसे किसी अन्य स्थान पर विचारण किया जाएगा जिस पर वह तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन विचार करने के लिए दायी है।
(४) उपधारा (१) और उपधारा (३) के अधीन जारी प्रत्येक अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी और उसकी एक प्रति जनता की जानकारी के लिए किसी सहजदृश्य स्थान या स्थानों पर, जैसा राज्य सरकार निदेश दे, प्रदर्शित की जाएगी।
(५) उपधारा (१) के अधीन प्राधिकृत प्रत्येक व्यक्ति भारतीय दंड संहिता (१८६० का ४५) की धारा २१ के अर्थान्तर्गत लोक सेवक समझा जाएगा।