भारत का संविधान
१.(पहली अनुसूची :
(अनुच्छेद १ और अनुच्छेद ४)
१) राज्य :
१) आंध्र प्रदेश :
२.(वे राज्यक्षेत्र जो आंध्र राज्य अधिनियम १९५३ की धारा ३ की उपधारा (१) में, राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ की धारा ३ की उपधारा (१) में, आंध्र प्रदेश और मद्रास (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९५९ की प्रथम अनुसूची में और आंध्र प्रदेश और मैसूर (राज्यक्षेत्र अंतरण) अधिनियम १९६८ की अनुसूची में विनिर्दिष्ट है, किंतु वे राज्यक्षेत्र इसके अंतर्गत नहीं है जो आंध्र प्रदेश और मद्रास (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९५९ की द्वितीय अनुसूची में ३.(तथा आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २०१४ की धारा ३ में) विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम १९५६ की धारा २ द्वारा पहली अनुसूची के स्थान पर (१-११-१९५६ से) प्रतिस्थापित ।
२. आंध्र प्रदेश और मैसूर (राज्यक्षेत्र अंतरण) अधिनियम १९६८ (१९६८ का ३६) की धारा ४ द्वारा (१-१०-१९६८ से ) पूर्ववर्ती प्रविष्टि के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २०१४ (२०१४ का ६) की धारा १० द्वारा (२-६-२०१४ से) अंत:स्थापित ।
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२) असम :
वे राज्यक्षेत्र जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले असम प्रांत, खासी राज्यों और असम जनजाति क्षेत्रों में समाविष्ट थे, किंतु वे राज्यक्षेत्र इसके अंतर्गत नहीं है जो असम (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९५१ की अनुसूची में विनिर्दिष्ट है
१.(और वे राज्यक्षेत्र भी इसके अंतर्गत नहीं है जो नागालैंड राज्य अधिनियम १९६२ की धारा ३ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट है ) १.(और वे राज्यक्षेत्र) भी इसके अंतर्भत नहीं है २.(जो पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम १९७१ की धारा ५, धारा ६ और धारा ७ में विनिर्दिष्ट है ।
३.(और वे राज्यक्षेत्र भी इसके अंतर्गत नहीं है), जो संविधान (नवां संशोधन) अधिनियम १९६० की धारा ३ के खंड (क) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां तक उसका संबंध संविधान (एक सौवां संशोधन) अधिनियम २०१५ की दसूरी अनुसूची के भाग १ में निर्दिष्ट राज्यक्षेत्रों से है, संविधान (एक सौवां संशोधन) अधिनियम २०१५ की दूसरी अनुसूची के भाग १ में निर्दिष्ट है ।)
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१. नागालैंड राज्य अधिनियम १९६२ (१९६२ का २७) की धारा ४ द्वारा (१-१२-१९६३ से) जोडा गया ।
२. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम १९७१ (१९७१ का ८१) की धारा ९ द्वारा (२१-१-१९७२ से) जोडा गया ।
३. संविधान (एक सौवा संशोधन) अधिनियम २०१५ की धारा द्वारा (३१-७-२०१५ से) अंत:स्थापित ।
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३) बिहार :
१.(वे राज्यक्षेत्र जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले या तो बिहार प्रांत में समाविष्ट थे या इस प्रकार प्रशासित थे मानो वे उस प्रांत के भाग रहे हों और वे राज्यक्षेत्र जो बिहार और उत्तर प्रदेश (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९६८ की धारा ३ की उपधारा (१) के खंड (क) में विनिर्दिष्ट है, किंतु वे राज्यक्षेत्र अंतरण) अधिनियम १९५६ की धारा ३ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट है और वे राज्यक्षेत्र भी इसके अंतर्गत नहीं है जो प्रथम वर्णित अधिनियम की धारा ३ की उपधारा (१) के खंड (ख) में विनिर्दिष्ट है २.(और वे राज्यक्षेत्र जो बिहार पुनर्गठन अधिनियम २००० की धारा ३ में विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. बिहार और उत्तर प्रदेश (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९६८ (१९६८ का २४) की धारा ४ द्वारा (१०-६-१९७० से) पूर्ववर्ती प्रविष्टि के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. बिहार पुनर्गठन अधिनियम २००० (२००० का ३०) की धारा ५ द्वारा (१५-११-२००० से) जोडा गया ।
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१.(४) गुजरात :
वे राज्क्षेत्र जो मुंबई पुनर्गठन अधिनियम १९६० की धारा ३ की उपधारा (१) में निर्दिष्ट हैं ।)
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१. मुंबई पुनर्गठन अधिनियम १९६० (१९६० का ११) की धारा ४ द्वारा (१-५-१९६० से) प्रविष्टि ४ के स्थान पर पतिस्थापित ।
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५) केरल :
वे राज्यक्षेत्र जो राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ की धारा ५ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट हैं ।
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६) मध्य प्रदेश :
वे राज्यक्षेत्र जो राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ की धारा ९ की उपधारा (१) में १.(तथा राजस्थान और मध्य प्रदेश (राज्यक्षेत्र अंतरण) अधिनियम १९५९ की प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट है २.(किन्तु इनके अंतर्गत मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २००० की धारा ३ में विनिर्दिष्ट राज्यक्षेत्र नहीं है ।))
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१. राजस्थान और मध्य प्रदेश (राज्यक्षेत्र अंतरण) अधिनियम १९५९ (१९५९ का ४७) की धारा ४ द्वारा (१-१०-१९५९ से) अंत:स्थापित ।
२. मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २००० (२००० का २८) की धारा ५ द्वारा (१-११-२००० से) जोडा गया ।
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१(७) तमिलनाडु) :
वे राज्यक्षेत्र जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले या तो मद्रास प्रांत में समाविष्ट थे या इस प्रकार प्रशासित थे मानो वे उस प्रांत के भाग रहे हों और वे राज्यक्षेत्र जो राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ की धारा ४ में २.(तथा आंध्र प्रदेश और मद्रास (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९५९ की द्वितीय अनुसूची में) विनिर्दिष्ट है,) किंतु वे राज्यक्षेत्र इसके अंतर्गत नहीं हैं जो आंध्र राज्य अधिनियम १९५३ की धारा ३ की उपधारा (१) और धारा ४ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट है और ३.(वे राज्यक्षेत्र भी इसके अंतर्गत नहीं है जो राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ की धारा ५ की उपधारा (१) के खंड (ख), धारा ६ और धारा ७ की उपधारा (१) के खंड (घ) में विनिर्दिष्ट है और वे राज्यक्षेत्र भी इसके अंतर्गत नहीं है जो आंध्र प्रदेश और मद्रास (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९५९ की प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. मद्रास राज्य (नाम-परिवर्तन) अधिनियम १९६८ (१९६८ का ५३) की धारा ५ द्वारा (१४-१-१९६९ से) ७. मद्रास के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. आंध्र प्रदेश और मद्रास (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९५९ (१९५९ का ५६) की धारा ६ द्वारा (१-४-१९६० से) अंत:स्थापित ।
३. आंध्र प्रदेश और मद्रास (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९५९ (१९५९ का ५६) की धारा ६ द्वारा (१-४-१०६० से) कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
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१.(८) महाराष्ट्र :
वे राज्यक्षेत्र जो राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ की धारा ८ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट है, किन्तु वे राज्यक्षेत्र इसके अंतर्गत नहीं है जो मुंबई पुनर्गठन अधिनियम १९६० की धारा ३ की उपधारा (१) में निर्दिषट हैं ।)
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१. मुंबई पुनर्गठन अधिनियम १९६० (१९६० का ११) की धारा ४ द्वारा (१-५-१९६० से) अंत:स्थापित ।
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१.(२.(९) कर्नाटक ) :
वे राज्यक्षेत्र जो राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ की धारा ७ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट है, ३.(किंतु वे राज्यक्षेत्र इसके अंतर्गत नहीं है जो आंध्र प्रदेश और मैसूर (राज्यक्षेत्र अंतरण) अधिनियम १९६८ की अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. मैसूर राज्य (नाम-परिवर्तन) अधिनियम १९७३ (१९७३ का ३१) की धारा ५ द्वारा (१-११-१९७३ से) ९.मैसूर के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. मुंबई पुनर्गठन अधिनियम १९६० (१९६० का ११) की धारा ४ द्वारा (१-५-१९६० से) प्रविष्टि ८ से १४ तक को प्रविष्टि ९ से १५ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
३. आंध्र प्रदेश और मैसूर (राज्यक्षेत्र अंतरण) अधिनियम १९६८ (१९६८ का ३६) की धारा ४ द्वारा (१-१०-१९६८ से) अंत:स्थापित ।
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१.(१०) २.(ओडिशा) :
वे राज्यक्षेत्र जो इस संविधान के प्रारम्भ से ठीक पहले या तो उडीसा प्रांत में समाविष्ट थे या इस प्रकार प्रशासित थे मानो वे उस प्रांत के भाग रहे हों ।
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१. मुंबई पुनर्गठन अधिनियम १९६० (१९६० का ११) की धारा ४ द्वारा (१-५-१९६० से) प्रविष्टि ८ से १४ तक को प्रविष्टि ९ से १५ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. उडीसा (नाम परिवर्तन) अधिनियम २०११ की धारा ६ द्वारा (१-११-२०११ से) उडीसा के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
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१.(११) पंजाब :
वे राज्क्षेत्र जो राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ की धारा ११ में विनिर्दिष्ट हैं २.(और वे राज्यक्षेत्र जो अर्जित राज्यक्षेत्र (विलयम) अधिनियम १९६० की प्रथम अनुसूची के भाग २ में निर्दिष्ट हैं,) ३.(किंतु वे राज्यक्षेत्र इसके अंतर्गत नहीं है जो संविधान (नवां संशोधन) अधिनियम १९६० की पहली अनुसूची के भाग २ में निर्दिष्ट हैं) ४.(और वे राज्यक्षेत्र भी इसके अंतर्गत नहीं है जो पंजाब पुनर्गठन अधिनियम १९६६ की धारा ३ की उपधारा (१), धारा ४ और धारा ५ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. मुंबई पुनर्गठन अधिनियम १९६० (१९६० का ११) की धारा ४ द्वारा (१-५-१९६० से) प्रविष्टि ८ से १४ तक को प्रविष्टि ९ से १५ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. अर्जित राज्यक्षेत्र (विलयन) अधिनियम १९६० (१९६० का ६४) की धारा ४ द्वारा (१७-१-१९६१ से) अंत:स्थापित ।
३. संविधान (नवां संशोधन) अधिनियम १९६० की धारा ३ द्वारा (१७-१-१९६१ से) अंत:स्थापित ।
४. पंजाब पुनर्गठन अधिनियम १९६६ (१९६६ का ३१) की धारा ७ द्वारा (१-११-१९६६ से) अंत:स्थापित ।
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१.(१२) राजस्थान :
वे राज्यक्षेत्र जो राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ की धारा १० में विनिर्दिष्ट हैं, २.(किंतु वे राज्यक्षेत्र इसके अंतर्गत नहीं हैं जो राजस्थान और मध्यप्रदेश (राज्यक्षेत्र अंतरण) अधिनियम १९५९ की प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. मुंबई पुनर्गठन अधिनियम १९६० (१९६० का ११) की धारा ४ द्वारा (१-५-१९६० से) प्रविष्टि ८ से १४ तक को प्रविष्टि ९ से १५ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. राजस्थान और मध्य प्रदेश (राज्यक्षेत्र अंतरण) अधिनियम १९५९ (१९५९ का ४७) की धारा ४ द्वारा (१-१०-१९५९ से) अंत:स्थापित ।
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१.(१३) उत्तर प्रदेश :
२.(वे राज्यक्षेत्र जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले या तो संयुक्त प्रांत नाम से ज्ञात प्रांत में समाविष्ट थे या इस प्रकार प्रशासित थे मानो वे उस प्रांत के भाग रहे हों, वे राज्यक्षेत्र जो बिहार और उत्तर प्रदेश (सीमा परिवर्तन) अधिनियम १९६८ की धारा ३ की उपधारा (१) के खंड (ख) में विनिर्दिष्ट हैं और वे राज्यक्षेत्र जो हरियाणा और उत्तर प्रदेश (सीमा परिवर्तन) अधिनियम १९७९ की धारा ४ की उपधारा (१) के खंड (ख) में विनिर्दिष्ट हैं, किंतु वे राज्यक्षेत्र इसके अंतर्गत नहीं हैं जो बिहार और उत्तर प्रदेश (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९६८ की धारा ३ की उपधारा (१) के खंड (क) ३.(तथा उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २००० की धारा ३) में विनिर्दिष्ट हैं और वे राज्यक्षेत्र भी इसके अंतर्गत नहीं है जो हरियाणा और उत्तर प्रदेश (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९७९ की धारा ४ की उपधारा (१) के खंड (क) में विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. मुंबई पुनर्गठन अधिनियम १९६० (१९६० का ११) की धारा ४ द्वारा (१-५-१९६० से) प्रविष्टि ८ से १४ तक को प्रविष्टि ९ से १५ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. हरियाणा और उत्तर प्रदेश (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९७९ (१९७९ का ३१) की धारा ५ द्वारा (१५-९-१९८३ से) १३.उत्तर प्रदेश के सामने की प्रविष्टि के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २००० (२००० का २९) की धारा ५ द्वारा (९-११-२००० से) अंत:स्थापित ।
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१.(१४) पश्चिमी बंगाल :
वे राज्यक्षेत्र जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले या तो पश्चिमी बंगाल प्रांत में समाविष्ट थे या इस प्रकार प्रशासित थे मानो वे उस प्रांत के भाग रहे हों और चंद्रनगर (विलयन) अधिनियम १९५४ की धारा २ के खंड (ग) में यथा परिभाषित चंद्रनगर का राज्यक्षेत्र और वे राज्यक्षेत्र भी जो बिहार और पश्चिमी बंगाल (राज्यक्षेत्र अंतरण) अधिनियम १९५६ की धारा ३ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट हैं २.(और वे राज्यक्षेत्र इसके अंतर्गत नहीं हैं, जो संविधान (नवां संशोधन) अधिनियम १९६० की धारा ३ के खंड (ग) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां तक उसका संबंध संविधान (एक सौवां संशोधन) अधिनियम २०१५ की पहली अनुसूची के भाग ३ में निर्दिष्ट राज्यक्षेत्रों और दुसरी अनुसूची के भाग ३ में निर्दिष्ट राज्यक्षेत्रों से है, संविधान (एक सौवा संशोधन) अधिनियम २०१५ की दूसरी अनुसूची के भाग ३ में निर्दिष्ट हैं ।)
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१. मुंबई पुनर्गठन अधिनियम १९६० (१९६० का ११) की धारा ४ द्वारा (१-५-१९६० से) प्रविष्टि ८ से १४ तक को प्रविष्टि ९ से १५ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. संविधान (एक सौवां संशोधन) अधिनियम २०१५ की धारा ३ द्वारा (३१-७-२०१५ से ) जोडा गया ।
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१.(२.(३.(१५)) नागालैंड :
वे राजक्षेत्र जो नागालैंड राज्य अधिनियम १९६२ की धारा ३ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १५ का निरसन किया गया ।
२. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
३. नागालैंड राज्य अधिनियम १९६२ (१९६२ का २७) की धारा ४ द्वारा (१-१२-१९६३ से) अंत: स्थापित ।
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१.(२.(१६)) हरियाणा :
३.(वे राज्यक्षेत्र जो पंजाब पुनर्गठन अधिनियम १९६६ की धारा ३ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट हैं और वे राज्यक्षेत्र जो हरियाणा और उत्तर प्रदेश (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९७९ की धारा ४ की उपधारा (१) के खंड (क) में विनिर्दिष्ट हैं, किंतु वे राज्यक्षेत्र इसके अंतर्गत नहीं है जो उस अधिनियम की धारा ४ की उपधारा (१) के खंड (ख) में विनिर्दिष्ट हैं ।))
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. पंजाब पुनर्गठन अधिनियम १९६६ (१९६६ का ३१) की धारा ७ द्वारा (१-११-१९६६ से) अंत: स्थापित और तत्पश्चात् हरियाणा और उत्तरप्रदेश (सीमा परिवर्तन) अधिनियम १९७९ (१९७९ का ३१) की धारा ५ द्वारा (१५-९-१९८३ से) प्रविष्टि को संशोधित किया गया ।
३. हरियाणा और उत्तर प्रदेश (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम १९७९ (१९७९ का ३१) की धारा ५ द्वारा (१५-९-१९८३ से) १७. हरियाणा के सामने की प्रविष्टि के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
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१.(२.(१७)) हिमाचल प्रदेश :
वे राज्यक्षेत्र जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले इस प्रकार प्रशासित थे मानों वे हिमाचल प्रदेश और बिलासपुर के नाम से ज्ञात मुख्य आयुक्त वाले प्रांत रहे हों और वे राज्यक्षेत्र जो पंजाब पुनर्गठन अधिनियम १९६६ की धारा ५ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट है ।)
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम १९७० (१९७० का ५३) की धारा ४ द्वारा (२५-१-१९७१ से) अंत:स्थापित ।
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१.(२(१८)) मणिपूर :
वह राज्यक्षेत्र जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले इस प्रकार प्रशासित था मानो वह मणिपूर के नाम से ज्ञात मुख्य आयुक्त वाला प्रांत रहा हो ।)
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम १९७१ (१९७१ का ८१) की धारा ९ द्वारा (२१-१-१९७२ से) अंत:स्थापित ।
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१.(१९)) त्रिपुरा :
वह राज्यक्षेत्र जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले इस प्रकार प्रशासित था मानो वह त्रिपुरा के नाम से ज्ञात मुख्य आयुक्त वाला प्रांत रहो हो २.(और वे राज्यक्षेत्र जो संविधान (नवां संशोधन) अधिनियम १९६० की धारा ३ के खंड (घ) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी जहां तक उनका संबंध संविधान (एक सौवां संशोधन) अधिनियम २०१५ की पहली अनुसूची के भाग २ में निर्दिष्ट राज्यक्षेत्रों से है, संविधान (एक सौवां संशोधन) अधिनियम २०१५ की पहली अनुसूची के भाग २ में निर्दिष्ट हैं ।)
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. संविधान (एक सौवां संशोधन) अधिनियम २०१५ की धारा ३ द्वारा (३१-७-२०१५ से) अंत:स्थापित ।
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१.(२०)) मेघालय :
वे राज्यक्षेत्र जो पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम १९७१ की धारा ५ में विनिर्दिष्ट हैं १.(और वे राज्यक्षेत्र, जो पहली अनुसूची के भाग १ में निर्दिष्ट हैं किन्तु वे राज्यक्षेत्र इसके अंतर्गत नहीं है, जो संविधान (एक सौवां संशोधन) अधिनियम २०१५ की दूसरी अनुसूची के भाग २ में निर्दिष्ट हैं ।)
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. संविधान (एक सौवां संशोधन) अधिनियम २०१५ की धारा ३ द्वारा (३१-७-२०१५ से) अंत:स्थापित ।
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१.(२.(२१)) सिक्किम :
वे राज्यक्षेत्र जो संविधान (छत्तीसवां संशोधन) अधिनियम १९७५ के प्रारंभ से ठीक पहले सिक्किम में समाविष्ट थे ।)
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. संविधान (छत्तीसवां संशोधन) अधिनियम १९७५ की धारा २ द्वारा (२६-४-१९७५ से) अंत:स्थापित ।
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१.(२.(२२)) मिजोरम :
वे राज्यक्षेत्र जो पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम १९७१ की धारा ६ में विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. मिजोरम राज्य अधिनियम १९८६ (१९८६ का ३४) की धारा ४ द्वारा (२०-२-१९८७ से) अंत:स्थापित ।
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१.(२.(२३)) अरुणाचल प्रदेश :
वे राज्यक्षेत्र जो पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम १९७१ की धारा ७ में विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. अरुणाचल प्रदेश राज्य अधिनियम १९८६ (१९८६ का ६९) की धारा ४ द्वारा (२०-२-१९८७ से) अंत:स्थापित ।
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१.(२.(२४)) गोवा :
वे राज्यक्षेत्र जो गोवा, दमण और दीव पुनर्गठन अधिनियम १९८७ की धारा ३ में विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. गोवा, दमण और दीव पुनर्गठन अधिनियम १९८७ (१९८७ का १८) की धारा ५ द्वारा (३०-५-१९८७ से) अंत:स्थापित ।
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१.(२.(२५)) छत्तीसगढ :
मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २००० की धारा ३ में विनिर्दिष्ट राज्यक्षेत्र ।)
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. मध्य प्रदेश अधिनियम २००० (२००० का २८) की धारा ५ द्वारा (१-११-२००० से ) अंत:स्थापित ।
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१.(२.(२६)) ३.(उत्तराखंड) :
वे राज्यक्षेत्र जो उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २००० की धारा ३ में विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम (२००० का २९) की धारा ५ द्वारा (९-११-२००० से) अंत:स्थापित ।
३. उत्तरांचल (नाम परिवर्तन) अधिनियम २००६ (२००६ का ५२) की धारा ४ द्वारा (१-१-२००७ से) उत्तरांचल शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
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१.(२.(२७)) झारखंड :
वे राज्यक्षेत्र जो बिहार पुनर्गठन अधिनियम २००० की धारा ३ में विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. बिहार पुनर्गठन अधिनियम २००० (२००० का ३०) की धारा ५ द्वारा (१५-११-२००० से) अंत:स्थापित ।
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१.(२.(२८)) तेलंगाना :
वे राज्यक्षेत्र जो आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २०१४ की धारा ३ में विनिर्दिष्ट हैं ।)
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१. जम्म और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि १६ से २९ तक को प्रविष्टि १५ से २८ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २०१४ (२०१४ का ६ ) की धारा १० द्वारा (२-६-२०१४ से) अंत:स्थापित ।
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२) संघ राज्यक्षेत्र :
१) दिल्ली :
वह राज्यक्षेत्र जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले दिल्ली के मुख्य आयुक्त वाले प्रांत में समाविष्ट था ।
१.(***)
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१. हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम १९७० (१९७० का ५३) की धारा ४ द्वारा (२५-१-१९७१ से) हिमाचल प्रदेश से संबंधित प्रविष्टि २ का लोप किया गया और पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम १९७१ (१९७१ का ८१) की धारा ९ द्वारा (२१-१-१९७२ से) मणिपूर और त्रिपुरा से संबंधित प्रविष्टियों का लोप किया गया ।
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१.(२)) अंदमान और निकोबार :
वह राज्यक्षेत्र जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले अंदमान और निकोबार द्वीप के मुख्य आयुक्त वाले प्रांत में समाविष्ट था ।
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१. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम १९७१ (१९७१ का ८१) की धारा ९ द्वारा (२१-१-१९७२ से) प्रविष्टि २ और ३ लोप किया गया और प्रविष्टि ४ से ९ तक को प्रविष्टि २ से ७ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
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१.(३) २.(लक्षद्वीप) :
वह राज्यक्षेत्र जो राज्य पुनर्गठन अधिनियम १९५६ की धारा ६ में विनिर्दिष्ट हैं ।
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१. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम १९७१ (१९७१ का ८१) की धारा ९ द्वारा (२१-१-१९७२ से) प्रविष्टि २ और ३ लोप किया गया और प्रविष्टि ४ से ९ तक को प्रविष्टि २ से ७ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. लक्कादीव, मिनिकोय और अमीनदीवी द्वीप (नाम-परिवर्तन) अधिनियम १९७३ (१९७३ का ३४) की धारा ५ द्वारा (१-११-१९७३ से) लक्कादीव, मिनिकोय, अमीनदीवी द्वीप के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
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१.(२.(४)) दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव :
वह राज्यक्षेत्र जो ११ अगस्त १९६१ से ठीक पहले स्वतंत्र दादरा और नागर हवेली में समाविष्ट था तथा वे राज्यक्षेत्र जो गोवा, दमण और दीव पुनर्गठन अधिनियम १९८७ की धारा ४ में विनिर्दिष्ट है ।)
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१. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम १९७१ (१९७१ का ८१) की धारा ९ द्वारा (२१-१-१९७२ से) प्रविष्टि २ और ३ लोप किया गया और प्रविष्टि ४ से ९ तक को प्रविष्टि २ से ७ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव (संघ राज्यक्षेत्रों का विलयन) अधिनियम २०१९ (२०१९ का ४४) की धारा ५ द्वारा (१९-१२-२०१९ से) प्रविष्टि ४ और प्रविष्टि ५ के स्थान पर प्रतिस्थापित । संविधान (दसवां संशोधन) अधिनियम १९६१ की धारा २ द्वारा (११-८-१९६१ से) दादरा और नागर हवेली से संबंधित प्रविष्टि ४ अन्त:स्थापित की गई थी ।
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१.(२.(५)) *** :
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१. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम १९७१ (१९७१ का ८१) की धारा ९ द्वारा (२१-१-१९७२ से) प्रविष्टि २ और ३ लोप किया गया और प्रविष्टि ४ से ९ तक को प्रविष्टि २ से ७ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. गोवा, दमण और दीव पुनर्गठन अधिनियम १९८७ (१९८७ का १८) की धारा ५ द्वारा (३०-५-१९८७ से) प्रविष्टि ५ के स्थान पर प्रतिस्थापित तथा तत्पश्चात् दादरा और नागर हवेली तथा दमण और दीव (संघ राज्यक्षेत्रों का विलयन) अधिनियम २०१९ (२०१९ का ४४) की धारा ५ द्वारा (१९-१२-२०१९ से) प्रविष्टि ४ और प्रविष्टि ५ के स्थान पर प्रविष्टि ४ के रुप में प्रतिस्थापित ।
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१.(२.(६)) ३.(पुडुचेरी) :
वे राज्यक्षेत्र जो १६ अगस्त १९६२ से ठीक पहले भारत में पांडिचेरी, कारिकल, माही और यनम के नाम से ज्ञात फ्रांसीसी बस्तियों में समाविष्ट थे ।)
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१. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम १९७१ (१९७१ का ८१) की धारा ९ द्वारा (२१-१-१९७२ से) प्रविष्टि २ और ३ लोप किया गया और प्रविष्टि ४ से ९ तक को प्रविष्टि २ से ७ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. संविधान (चौदहवां संशोधन) अधिनियम १९६२ की धारा ३ द्वारा (१६-८-१९६२ से) अंत:स्थापित ।
३. पांडिचेरी (नाम परिवर्तन) अधिनियम २००६ (२००६ का ४४) की धारा ५ द्वारा (१-१०-२००६ से) पांडिचेरी शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
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१.(२.(७)) चंडीगढ :
वे राज्यक्षेत्र जो पंजाब पुनर्गठन अधिनियम १९६६ की धारा ४ में विनिर्दिष्ट हैं ।)
३.(***)
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१. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम १९७१ (१९७१ का ८१) की धारा ९ द्वारा (२१-१-१९७२ से) प्रविष्टि २ और ३ लोप किया गया और प्रविष्टि ४ से ९ तक को प्रविष्टि २ से ७ तक के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया ।
२. पंजाब पुनर्गठन अधिनियम १९६६ (१९६६ का ३१) की धारा ७ द्वारा (१-११-१९६६ से) अंत:स्थापित ।
३. मिजोरम राज्य अधिनियम १९८६ (१९८६ का ३४) की धारा ४ द्वारा (२०-२-१९८७ से) मिजोरम संबंधी प्रविष्टि ८ का लोप किया गया और अरुणाचल प्रदेश संबंधी प्रविष्टि ९ को प्रविष्टि ८ के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया और अरुणाचल प्रदेश संबंधी प्रविष्टि ८ का अरुणाचल प्रदेश अधिनियम १९८६ (१९८६ का ६९) की धारा ४ का (२०-२-१९८७ से) लोप किया गया ।
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१.(८) जम्मू और कश्मीर :
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ की धारा ४ में निर्दिष्ट भू-भाग ।)
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१. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि ८ और ९ को शामिल किया ।
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१.(९) लद्दाख :
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ की धारा ३ में निर्दिष्ट भू-भाग ।)
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१. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ (२०१९ का ३४) की धारा ६ द्वारा (३१-१०-२०१९ से) प्रविष्टि ८ और ९ को शामिल किया ।