Constitution अनुच्छेद ८१ : लोक सभा की संरचना ।

भारत का संविधान
अनुच्छेद ८१ :
लोक सभा की संरचना ।
१.(१) २.(अनुच्छेद ३३१ के उपबंधों के अधीन रहते हुए ३.(***)) लोक सभा –
क) राज्यों में प्रादेशिक निर्वाचन- क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने गए ४.(पांच सौ तीस ) से अनधिक ४.(सदस्यों), और
ख) संघ राज्यक्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए ऐसी रीति से, जो संसद् विधि द्वारा उपबंधित करे, चुने हुए ५.(बीस) से अनधिक ५.(सदस्यों), से मिलकर बनेगी ।
(२)खंड(१) के उपखंड (क) के प्रयोजनों के लिए –
क)प्रत्येक राज्य को लोक सभा में स्थानों का आबंटन ऐसी रीति से किया जाएगा कि स्थानों की संख्या से उस राज्य की जन संख्या का अनुपात सभी राज्यों के लिए यथासाध्य एक ही हो, और
ख) प्रत्येक राज्य को प्रादेशिक निर्वाचन- क्षेत्रों में ऐसी रीति से विभाजित किया जाएगा कि प्रत्येक निर्वाचन- क्षेत्र की जनसंख्या का उसको आबंटित स्थानों की संख्या से अनुपात समस्त राज्य में यथासाध्य एक ही हो :
६.(परन्तू इस खंड के उपखंड (क) के उपबंध किसी राज्य को लोक सभा में स्थानों के आबंटन के प्रयोजन के लिए तब तक लागू नहीं होंगे जब तक उस राज्य की जनसंख्या साठ लाख से अधिक नहीं हो जाती है ।)
३) इस अनुच्छेद में, जनसंख्या पद से ऐसी अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना में अभिनिश्चित की गई जनसंख्या अभिप्रेत है जिसके सुसंगत आकडे प्रकाशित हो गए है :
७.( परन्तु इस खंड में अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना के प्रति, जिसके सुसंगत आकडे प्रकाशित हो गए हैं, निर्देश का, जब तक सन् ८.(२०२६) के पश्चात् की गई पहली जनगणना के सुसंगत आंकडे प्रकाशित नहीं हो जाते है, ९.(यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह, –
एक)खंड (२) के उपखंड (क) और उस खंड के परन्तुक के प्रयोजनों के लिए १९७१ की जनगणना के प्रति निर्देश है, और
दो) खंड (२) के उपखंड (ख) के प्रयोजनों के लिए १०.(२००१ ) की जनगणना के प्रति निर्देश है । ))
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१.संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा ४ द्वारा अनुच्छेद ८१ और ८२ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२.संविधान (पैतीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७४ की धारा ४ द्वारा (१-३-१९७५ से ) अनुच्छेद ३३१ के उपबंधों के अधीन रहते हुए के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३.संविधान (छत्तीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७५ की धारा ५ द्वारा (२६-४-१९७५ से) और दसवीं अनुसूची के पैरा ४ शब्दों और अक्षरों का लोप किया गया ।
४.गोवा, दमण और दीव पुनर्गठन अधिनियम, १९८७ (१९८७ का १८ ) की धारा ६३ द्वारा (३०-५-१९८७ से) पांच सौ पच्चीस के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
५.संविधान (इकतीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७३ की धारा २ द्वारा पच्चीस सदस्यों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
६.संविधान (इकतीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७३ की धारा २ द्वारा अंत:स्थापित ।
७.संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७६ की धारा १५ द्वारा (३-१-१९७७ से) अंत:स्थापित ।
८.संविधान (चौरासीवां संशोधन) अधिनियम, २००१ की धारा ३ द्वारा ( २१-२-२००२ से) प्रतिस्थापित ।
९. संविधान (चौरासीवां संशोधन) अधिनियम, २००१ की धारा ३ द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर ( २१-२-२००२ से) प्रतिस्थापित ।
१०. संविधान (सत्तासीवां संशोधन) अधिनियम, २००३ की धारा २ की धारा २ द्वारा प्रतिस्थापित ।

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