Constitution अनुच्छेद ७३ : संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार ।

भारत का संविधान
अनुच्छेद ७३ :
संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार ।
१) इस संविधान के उपबंधो के अधीन रहते हुए, संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार –
क)जिन विषयों के संबंध में संसद् को विधि बनाने की शक्ति है उन तक, और
ख)किसी संधि या करार के आधार पर भारत सरकार द्वारा प्रयोक्तव्य अधिकारों, प्राधिकार और अधिकारिता के प्रयोग तक, होगा :
परंतु इस संविधान में या संसद् द्वारा बनाई गई किसी विधि में अभिव्यक्त रूप से यथा उपबंधित के सिवाय, उपखंड (क) में निर्दिष्ट कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी १.(***) राज्य में ऐसे विषयों तक नहीं होगा जिनके संबंध में उस राज्य के विधान- मंडल को भी विधि बनाने की शक्ति है ।
२) जब तक संसद् अन्यथा उपबंध न करे तब तक इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी, कोई राज्य और राज्य का कोई अधिकारी या प्राधिकारी उन विषयों में, जिनके संबंध में संसद् को उस राज्य के लिए विधि बनाने की शक्ति है, ऐसी कार्यपालिका शक्ति का या कृत्यों का प्रयोग कर सकेगा जिनका प्रयोग वह राज्य या उसका अधिकारी या प्राधिकारी इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले कर सकता था ।
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१.संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा प्रथम अनुसूची के भाग क और भाग ख में उल्लिखित शब्दों और अक्षरों का लोप किया गया ।

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