भारत का संविधान
अनुच्छेद ३६३क :
१(देशी राज्यों के शासकों को दी गई मान्यता की समाप्ति और निजी थैलियों का अंत ।
इस संविधान का तत्समय प्रवृत्त किसी विधि में किसी बात के होते हुए भी –
क) ऐसा राजा, प्रमुख या अन्य व्यक्ति, जिसे संविधान (छब्बीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७१ के प्रारंभ से पहले किसी समय राष्ट्रपति के किसी देशी राज्य के शासक के रूप में मान्यता प्राप्त थी, या ऐसा व्यक्ति, जिसे ऐसे प्रारंभ से पहले किसी समय राष्ट्रपति से ऐसे शासक के उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता प्राप्त थी, ऐसे प्रारंभ को और से ऐसे शासक या ऐसे शासक के उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं रह जाएगा ;
ख) संविधान (छब्बीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७१ के प्रारंभ को और से निजी थैली का अंत किया जाता है और निजी थैली की बाबत सभी अधिकार, दायित्व और बाध्यताएं निर्वापित की जाती है और तद्नुसार खंड (क) में निर्दिष्ट, यथास्थिति, शासक या ऐसे शासक के उत्तराधिकारी को या अन्य व्यक्ति को किसी राशि का निजी का थैली के रूप में संदाय नहीं किया जाएगा । )
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१.संविधान (छब्बीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७१ की धारा ३ द्वारा अंत:स्थापित ।