भारत का संविधान
अनुच्छेद ३६१ ख :
१.(लाभप्रद राजनीतिक पद पर नियुक्ति के लिए निरर्हता ।
किसी राजनीतिक दल का किसी सदन का कोई सदस्य, जो दसवीं अनुसूची के पैरा २ के अधीन सदन का सदस्य होने के लिए निरर्हित है, अपनी निरर्हता की तारीख से प्रारंभ होने वाली और उस तारीख तक जिसको ऐसे सदस्य के रूप में उसकी पदावधि समाप्त होगी या उस तारीख तक जिसको वह किसी सदन के लिए कोई निर्वाचन लडता है, और निर्वाचित घोषित किया जाता है, इनमें से जो भी पूर्वतर हो, की अवधि के दौरान, कोई लाभप्रद राजनीतिक पद धारण करने के लिए भी निरर्हित होगा ।
स्पष्टीकरण- इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए, –
क) सदन पद का वही अर्थ है जो उसका दसवीं अनुसूची के पैरा १ के खंड (क) में है ;
ख) लाभप्रद राजनीतिक पद अभिव्यक्ति से अभिप्रेत है, –
१)भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन कोई पद, जहां ऐसे पद के लिए वेतन या पारिश्रमिक का संदाय, यथास्थिति, भारत सरकार या राज्य सरकार के लोक राजस्व से किया जाता है ; या
२) किसी निकाय के अधीन, चाहे निगमित हो या नहीं , जो भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के पूर्णत: या भागत: स्वामित्वाधीन है, कोई पद और ऐसे पद के लिए वेतन या पारिश्रमिक का संदाय ऐसे निकाय से किया जाता है ,
सिवाय वहां के जहां संदत्त ऐसा वेतन या पारिश्रमिक प्रतिकरात्मक स्वरूप का है । )
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१.संविधान (इक्यानवेवां संशोधन) अधिनियम, २००३ की धारा ४ द्वारा अंत:स्थापित ।