भारत का संविधान
अनुच्छेद ३५९ :
आपात के दौरान भाग ३ द्वारा प्रदत्त अधिकारों के प्रवर्तन का निलंबन ।
१) जहां आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है वहां राष्ट्रपति, आदेश द्वारा यह घोषणा कर सकेगा कि १.((अनुच्छेद २० और अनुच्छेद २१ को छोडकर ) भाग ३ द्वारा प्रदत्त ऐसे अधिकारों ) को प्रवर्तित कराने के लिए, जो उस आदेश में उल्लिखित किए जाएं किसी न्यायालय को समावेदन करने का अधिकार और इस प्रकार उल्लिखित अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए किसी न्यायालय में लंबित सभी कार्यवाहियां उस अवधि के लिए जिसके दौरान उद्घोषणा प्रवृत्त रहती है या उससे लघुतर ऐसी अवधि के लिए जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, निलंबित रहेंगी ।
२.(१क) जब १.( (अनुच्छेद २० और अनुच्छेद २१ को छोडकर ) भाग ३ द्वारा प्रदत्त किन्हीं अधिकारों ) को उल्लिखित करने वाला खंड (१) के अधीन किया गया आदेश प्रवर्तन में है तब उस भाग में उन अधिकारों को प्रदान करने वाली कोई बात उस भाग में यथापरिभाषित राज्य की कोई ऐसी विधि बनाने की या कोई ऐसी कार्यपालिका कार्रवाई करने की शक्ति को, जिसे वह राज्य उस भाग में अंतर्विष्ट उपबंधों के अभाव में बनाने या करने के लिए सक्षम होता, निर्बंधित नहीं करेगी, किन्तु इस प्रकार बनाई गई कोई विधि पूर्वोक्त आदेश के प्रवर्तन में न रहने पर अक्षमता की मात्रा तक उन बातों के सिवाय तुरन्त प्रभावहीन हो जाएगी, जिन्हें विधि के इस प्रकार प्रभावहीन होने के पहले किया गया है या करने का लोप किया गया है : )
३.(परन्तु जहां आपात की उद्घोषणा भारत के राज्यक्षेत्र के केवल किसी भाग में प्रवर्तन में है वहां, यदि और जहां तक भारत या उसके राज्यक्षेत्र के किसी भाग की सुरक्षा, भारत राज्यक्षेत्र के उस भाग में या उसके संबंध में, जिसमें आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है, होने वाले क्रियाकलाप के कारण संकट में है तो और वहां तक , ऐसे राज्य या संघ राज्यक्षेत्र में या उसके संबंध में, जिसमें या जिसके किसी भाग में आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में नहीं है, इस अनुच्छेद के अधीन ऐसी कोई विधि बनाई जा सकेगी या ऐसी कोई कार्यपालिका कार्रवाई की जा सकेगी। )
४.(१ख)खंड (१क) की कोई बात –
क) किसी ऐसी विधि को लागू नहीं होगी जिसमें इस आशय का उल्लेख अंतर्विष्ट नहीं है कि ऐसी विधि उसके बनाए जाने के समय प्रवृत्त आपात की उद्घोषणा के संबंध में है ; या
ख) किसी ऐसी कार्यपालिका कार्रवाई को लागू नहींं होगी जो ऐसा उल्लेख अंतर्विष्ट करने वाली विधि के अधीन न करके अन्यथा की गई है।)
२) पूर्वोक्त रूप में किए गए आदेश का विस्तार भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग पर हो सकेगा :
५.(परन्तु जहां आपात की उद्घोषणा भारत के राज्यक्षेत्र के केवल किसी भाग में प्रवर्तन में है वहां किसी ऐसे आदेश का विस्तार भारत के राज्यक्षेत्र के किसी अन्य भाग पर तभी होगा जब राष्ट्रपति, यह समाधान हो जाने पर कि भारत या उसके राज्यक्षेत्र के किसी भाग की सुरक्षा, भारत के राज्यक्षेत्र के उस भाग में या उसेक संबंध में, जिसमें आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है, होने वाले क्रियाकलाप के कारण संकट में है, ऐसा विस्तार आवश्यक समझता है । )
३)खंड (१) के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश, किए जाने के पश्चात् यथाशक्य शीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाएगा ।
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१.संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७८ की धारा ४० द्वारा (२०-६-१९७९ से) भाग ३ द्वारा प्रदत्त अधिकारों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२.संविधान (अडतीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७५ की धारा ७ द्वारा (भूतलक्षी प्रभाव से) अंत:स्थापित ।
३. संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७६ की धारा ५३ द्वारा (३-१-१९७७ से) अंत:स्थापित ।
४. संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७८ की धारा ४० द्वारा (२०-६-१९७९ से) अंत:स्थापित ।
५. संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७६ की धारा ५३ द्वारा (३-१-१९७७ से) अंत:स्थापित ।