भारत का संविधान
अनुच्छेद ३५३ :
आपात की उद्घोषणा का प्रभाव ।
जब आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है तब –
क) संविधान में किसी बात के होते हुए भी, संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य को इस बारे में निदेश देने तक होगा कि वह राज्य अपनी कार्यपालिका शक्ति का किस रीति से प्रयोग करे ;
ख)किसी विषय के संबंध में विधियां बनाने की संसद् की शक्ति के अंतर्गत इस बात के होते हुए भी कि वह संघ सूची में प्रगणित विषय नहीं है, ऐसी विधियां बनाने की शक्ति होगी जो उस विषय के संबंध में संघ को या संघ के अधिकारियों और प्राधिकारियों को शक्तियां प्रदान करती हैं और उन पर कर्तव्य अधिरोपित करती हैं या शक्तियों का प्रदान किया जाना और कर्तव्यों का अधिरोपित किया जाना प्राधिकृत करती है :
१.(परन्तु जहां आपात की उद्घोषणा भारत के राज्यक्षेत्र के केवल किसी भाग में परिवर्तन में है वहां यदि और जहां तक भारत या उसके राज्यक्षेत्र के किसी भाग की सुरक्षा भारत के राज्यक्षेत्र के उस भाग में या उसके संबंध में, जिसमें आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है, होने वाले क्रियाकलाप के कारण संकट में है तो और वहां तक ,-
१)खंड (क) के अधीन निदेश देने की संघ की कार्यपालिका शक्ति का, और
२)खंड (ख) के अधीन विधि बनाने की संसद् की शक्ति का,
विस्तार किसी ऐसे राज्य पर भी होगा जो उस राज्य से भिन्न है जिसमें या जिसके किसी भाग में आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है । )
———–
१.संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७६ की धारा ४९ द्वारा (३-१-१९७७ से) अंत:स्थापित ।