भारत का संविधान
अध्याय ३ :
उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों आदि की भाषा :
अनुच्छेद ३४८ :
उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा ।
१)इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, जब तक संसद् विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक –
क) उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाहियां अंग्रेजी भाषा में होंगी ,
ख) १) संसद् के प्रत्येक सदन या किसी राज्य के विधान- मंडल के सदन या प्रत्येक सदन में पुर:स्थापित किए जाने वाले सभी विधेयकों या प्रस्तावित किए जाने वाले उनके संशोधनों के,
२)संसद् या किसी राज्य के विधान- मंडल द्वारा पारित सभी अधिनियमों के और राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल १* द्वारा प्रख्यापित सभी अध्यादेशों के , और
३) इस संविधान के अधीन अथवा संसद् या किसी राज्य के विधान- मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन निकाले गए या बनाए गए सभी आदेशों, नियमों, विनियमों और उपविधियों के,
प्राधिकृत पाठ अंग्रेजी भाषा में होंगे ।
२) खंड (१) के उपखंड (क) में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य का राज्यपाल १.(***) राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से उस उच्च न्यायालय की कार्यवाहियों में, जिसका मुख्य स्थान उस राज्य में है, हिन्दी भाषा का या उस राज्य के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाली किसी अन्य भाषा का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा :
परन्तु इस खंड की कोई बात ऐसे उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए किसी निर्णय, डिक्री या आदेश को लागू नहीं होगी ।
३)खंड (१) के उपखंड (ख) में किसी बात के होते हुए भी, जहां किसी राज्य के विधान- मंडल ने, उस विधान-मंडल में पुर:स्थापित विधेयकों में या उसके द्वारा पारित अधिनियमों में अथवा उस राज्य के राज्यपाल १.(***) द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों में अथवा उस उपखंड के पैरा (३) में निर्दिष्ट किसी आदेश, नियम, विनियम या उपविधि में प्रयोग के लिए अंग्रेजी भाषा से भिन्न कोई भाषा विहित की है वहां उस राज्य के राजपत्र में उस राज्य के राज्यपाल १.(***) के प्राधिकार से प्रकाशित अंग्रेजी भाषा में उसका अनुवाद इस अनुच्छेद के अधीन उसका अंग्रेजी भाषा में प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा ।
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१.संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा या राजप्रमुख शब्दों का लोप किया गया ।