भारत का संविधान
अनुच्छेद ३४१ :
अनुसूचित जातियां ।
१)राष्ट्रपति, १.(किसी राज्य २.( या संघ राज्यक्षेत्र) के संबंध में और जहां वह ३.(***) राज्य है वहां उसके राज्यपाल ४.(***) से परामर्श करने के पश्चात्) लोक ५.(अधिसूचना) द्वारा, उन जातियों, मूलवंशों या जनजातियों, अथवा जातियों, मूलवंशों या जनजातियों के भागों या उनमें के यूथों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा, जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिए २.(यथास्थिति) उस राज्य २.(या संघ राज्यक्षेत्र) के संबंध में अनुसूचित जातियां समझा जाएगा ।
२) संसद्, विधि द्वारा, किसी जाति, मूलवंश या जनजाति को अथवा जाति, मूलवंश या जनजाति के भाग या उसमें के यूथ को खंड (१) के अधीन निकाली गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अनुसूचित जातियों की सूची में सम्मिलित कर सकेगी या उसमें से अपवर्जित कर सेकगी, किन्तु जैसा ऊपर कहा गया है उसके सिवाय उक्त खंड के अधीन निकाली गई अधिसूचना में किसी पश्चात्वर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
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१.संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, १९५१ की धारा १० द्वारा राज्य के राज्यपाल या राजप्रमुख से परामर्श करने के पश्चात् के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२.संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा अंत:स्थापित ।
३.संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा पहली अनुसूची के भाग क या भाग ख में विनिर्दिष्ट शब्दों और अक्षरों का लोप किया गया ।
४.संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा या राजप्रमुख का लोप किया गया ।
५.संविधान (अनुसूचित जातियां ) आदेश, १९५० (सं.आ. १९) संविधान (अनुसूचित जातियां ) (संघ राज्यक्षेत्र) आदेश, १९५१ (सं.आ. ३२) संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जातियां आदेश १९५६ (सं.आ.५२), संविधान (दादरा और नागर हवेली) अनुसूचित जातियां आदेश, १९६२ (सं.आ.६४) संविधान (पांडिचेरी) अनुसूचित जातियां आदेश, १९६४ (सं.आ.६८), संविधान (गोवा, दमण, और दीव) अनुसूचित जातियां आदेश, १९६८ (सं.आ. ८१) और संविधान (सिक्किम) अनुसूचित जातियां आदेश, १९७८ (सं.आ. ११०) देखिए ।