भारत का संविधान
अनुच्छेद ३३४ :
१.(स्थानों के आरक्षण और विशेष प्रतिनिधित्व का कतिपय अवधि के पश्चात् न रहना) ।
इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, –
क)लोक सभा में और राज्यों की विधान सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों के आरक्षण संबंधी, और
ख) लोक सभा में और राज्यों की विधान सभाओं में नामनिर्देशन द्वारा आंग्ल- भारतीय समुदाय के प्रतिनिधित्व संबंधी,
इस संविधान के उपबंध इस संविधान के प्रारंभ से २.(खंड (क) के संबंध में अस्सी वर्ष और खंड (ख) के संबंध में सत्तर वर्ष) की अवधि की समाप्ति पर प्रभावी नहीं रहेंगे :
परंतु इस अनुच्छेद की किसी बात से लोक सभा में या किसी राज्य की विधान सभा में किसी प्रतिनिधित्व पर तब तक कोई प्रभाव नहीं पडेगा जब तक, यथास्थिति, उस समय विद्यमान लोक सभा या विधान सभा का विघटन नहीं हो जाता है ।
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१. संविधान (एक सौ चारवां संशोधन) अधिनियम २०१९ की धारा २ द्वारा (२५-१-२०२० से) प्रतिस्थापित ।
२. संविधान (एक सौ चारवां संशोधन) अधिनियम २०१९ की धारा २ द्वारा (२५-१-२०२० से) सत्तर वर्ष शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित । संविधान (पचानवेवां संशोधन) अधिनियम २००९ की धारा २ द्वारा (२५-१-२०१० से) साठ वर्ष शब्दों के स्थान पर सत्तर वर्ष शब्दद प्रतिस्थापित किये गये थे । संविधान (उनासीवां संशोधन) अधिनियम १९९९ की धारा २ द्वारा (२५-१-२००० से) पचास वर्ष शब्दों के स्थान पर साठ वर्ष शब्द प्रतिस्तापित किए गए थे । संविधान (बासठवां संशोधन) अधिनियम १९८९ की धारा २ द्वारा चालीस वर्ष शब्दों के स्थान पर पचास वर्ष शब्द प्रतिस्थापित किए गए थे । संविधान (पैतालीसवां संशोधन) अधिनियम १९८० की धारा २ द्वारा तीस वर्ष शब्दों के स्थान पर चालीस वर्ष शब्द प्रतिस्थापित किए गए थे ।