भारत का संविधान
अनुच्छेद ३१० :
संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि ।
१) इस संविधान द्वारा अभिव्यक्त रूप से यथाउपबंधित के सिवाय, प्रत्येक व्यक्ति जो रक्षा सेवा का या संघ की सिविल सेवा का या अखिल भारतीय सेवा का सदस्य है अथवा रक्षा से संबंधित कोई पद या संघ के अधीन कोई सिविल पद धारण करता है, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है और प्रत्येक व्यक्ति जो किसी राज्य की सिविल सेवा का सदस्य है या राज्य के अधीन कोई सिविल पद धारण करता है, उस राज्य के राज्यपाल १ के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है ।
२) इस बात के होते हुए भी कि संघ या किसी राज्य के अधीन सिविल पद धारण करने वाला व्यक्ति, यथास्थिति, राष्ट्रपति या राज्य के राज्यपाल १.(***) के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है, कोई संविदा जिसके अधीन कोई व्यक्ति जो रक्षा सेवा का या अखिल भारतीय सेवा का या संघ या राज्य की सिविल सेवा का सदस्य नहीं है, ऐसे किसी पद को धारण करने के लिए इस संविधान के अधीन नियुक्त किया जाता है, उस दशा में, जिसमें, यथास्थिति, राष्ट्रपति या राज्यपाल १.(***) विशेष अर्हताओं वाले किसी व्यक्ति की सेवाएं प्राप्त करने के लिए आवश्यक समझता है, यह उपबंध कर सकेगी कि यदि करार की गई अवधि की समाप्ति से पहले वह पद समाप्त कर दिया जाता है या ऐसे कारणों से, जो उसके किसी अवचार से संबंधित नहीं है, उससे वह पद रिक्त करने की अपेक्षा की जाती है तो, उसे प्रतिकर दिया जाएगा ।
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१.संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा या राजप्रमुख शब्दों का लोप किया गया ।